logo-image

हमारे पास भी वही अधिकार थे, जो अरविंद केजरीवाल की सरकार के पास हैं : शीला दीक्षित

अधिकारों की जंग में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी आपत्ति जताई. इस पर पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने कहा कि हमारे पास भी वही अधिकार थे, जो इस वक्त के सरकार के पास हैं. ये सब अधिकार भारतीय संविधान के हिसाब से होते हैं

Updated on: 14 Feb 2019, 02:36 PM

नई दिल्ली:

अधिकारों की जंग में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी आपत्ति जताई. इस पर पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने कहा कि हमारे पास भी वही अधिकार थे, जो इस वक्त के सरकार के पास हैं. ये सब अधिकार भारतीय संविधान के हिसाब से होते हैं.

दिल्ली सरकार और LG के बीच अधिकारों को लेकर काफी सालों से चली आ रही खींचतान पर आज विराम लग गया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाकर दोनों के अधिकार क्षेत्रों को समझा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सवाल उठाया कि ट्रांसफर-पोस्‍टिंग नहीं करेंगे तो सरकार कैसे चलेगी. उन्‍होंने फैसले को संविधान के खिलाफ बताया. यह कैसे हो सकता है कि चुनी हुई सरकार को ट्रांसफर का अधिकार नहीं होगा. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री ने कहा, अगर एक सरकार को ट्रांसफर-पोस्‍टिंग करने का भी पावर नहीं होगा तो सरकार कैसे काम करेगी. एक पार्टी की सरकार, जिसके पास 67 सीटें हैं लेकिन पावर उनके पास है, जिनके पास केवल 3 विधायक हैं. अरविंद केजरीवाल ने कहा- हम इस मामले में कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे. इसके बाद कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने कहा कि हमारी समय में भी वही अधिकार थे, जो आज अरविंद केजरीवाल की सरकार के पास हैं. इसके बाद शीला दीक्षित ने कहा कि गठबंधन का फैसला हाईकमान करेगा. मुझ पर गठबन्धन का कोई दबाव नहीं.

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि थोड़ी देर पहले मैं अरविंद केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस सुन रहा था, उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के लिए किया यकीन नहीं किया जा सकता कि एक चुना हुआ मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर सकता है. ये अरविंद केजरीवाल की करारी हार है.
आज अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया है बल्कि ये कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट है और हमलोग इस पर विचार कर रहे हैं कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया जाए.