विरासत को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी - प्रह्लाद सिंह पटेल
दो सत्र में चली परिचर्चा में केंद्रीय मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे कल्चर स्पेस बनाने की बात करते हैं. अब नई धारणाओं को दुनिया के सामने रखा जा रहा है.
highlights
- केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा संग्रहालय हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य की समृद्धि का परिचय
- विश्व संग्रहालय दिवस पर हम अपनी धरोहरों को संरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए
नई दिल्ली:
विश्व संग्रहालय दिवस के मौके पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी ने वेबिनार में शिरकत की और संबोधन दिया. जिसमें डॉ सच्चिदानंद जोशी, सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, प्रोफेसर मानवी सेठ, डीन, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, आईआईएम अहमदाबाद से प्रो. अमित कर्ण, ईमेंसिव ट्रेल्स के डॉ तथागत नियोगी और कलाक्षेत्र फाउंडेशन से डॉ बेसी सेसिल वक्ता के तौर पर मौजूद रहे और अपने विचार रखे. केंद्रीय मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने सभी देशवासियों को विश्व संग्रहालय दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि संग्रहालय हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य की समृद्धि का परिचय हैं एक समाज धन से संपन्न होता है लेकिन समृद्ध अपनी विरासत से होता हैं, अपनी धरोहरों से होता है. विश्व संग्रहालय दिवस पर हम अपनी धरोहरों को संरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए.
गोंड राजाओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनको को पत्थर की समझ बहुत अच्छी थी, उन्होंने नर्मदा जैसी नदी के नीचे से सुरंग निकाली, ये उनकी परख के चलते ही संभव हो सका होगा. लेकिन इन बातों को कहीं लिपिबद्ध नहीं किया गया उन्होंने कहा कि इनका जिक्र सिर्फ बातचीत के दौरान ही आता है जबकि ये लिखित रूप से दुनिया के सामने आनी चाहिए थी. ये हमारी बहुत बड़ी कमजोरी साबित करता है. ऐसी ही बहुत सारी जनजातियां हैं जिनकी खासियत इन्हीं सब अभाव के कारण प्रकाश में आई ही नहीं. हम सबके सामने बड़ी चुनौतियां हैं, हमारे पास एक दर्जन म्यूजियम हैं लेकिन हम उनका 60 फीसदी ही प्रदर्शित कर पाते हैं. हमें ये ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए कि हमारे पास बहुत कुछ है लेकिन हम उन्हें प्रदर्शित ही नहीं कर पाते.
दो सत्र में चली परिचर्चा में केंद्रीय मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे कल्चर स्पेस बनाने की बात करते हैं. अब नई धारणाओं को दुनिया के सामने रखा जा रहा है. 18 वीं सदी में संग्रहालय थे लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर के वो 19वीं शताब्दी में बने. मैं उन सबका धन्यवाद करता हूं जिन्होंने हजारों साल पुरानी धरोहरों को संजोया, जिन्होंने संग्रहालयों में चीजों को दान दिया. मैं उन सभी का आभार व्यक्त करता हूं जो भविष्य में संग्रहालयों को बेहतर बनाने की मुहिम में जुड़े हैं और इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं . उन्होंने कहा कि मैं भी इस टीम का हिस्सा हूं, हमें लोगों को जोड़कर इस कार्य को और बेहतर तरीके से आगे बढ़ाना होगा और संवाद के रास्ते खोलने होंगे.
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