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चीन पर नजर, क्वाड देशों ने फिर की स्वतंत्र, मुक्त एवं समावेशी हिन्द-प्रशांत की वकालत

चीन के विस्तारवादी व्यवहार को लेकर बढ़ रही वैश्विक चिंता के बीच भारत और चतुर्भुजीय संगठन ‘क्वाड’ के तीन अन्य देशों ने मंगलवार को स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी सामूहिक परिकल्पना की पुन: पुष्टि की.

Updated on: 07 Oct 2020, 06:42 AM

नई दिल्ली:

चीन के विस्तारवादी व्यवहार को लेकर बढ़ रही वैश्विक चिंता के बीच भारत और चतुर्भुजीय संगठन ‘क्वाड’ के तीन अन्य देशों ने मंगलवार को स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी सामूहिक परिकल्पना की पुन: पुष्टि की. इसके साथ ही अमेरिका ने समूह को ‘‘सच्चा सुरक्षा ढांचा’’ बनाने की बात कही. तोक्यो में क्वाड की बैठक में अपने उद्घाटन संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत नियम आधारित विश्व व्यवस्था, क्षेत्रीय एकता एवं अखंडता के सम्मान तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति कटिबद्ध है. क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. इन देशों के विदेश मंत्रियों की आमने-सामने की बैठक हिन्द-प्रशांत क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के बढ़ते आक्रामक सैन्य व्यवहार के बीच हो रही है.

जयशंकर ने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत में वैध और महत्वपूर्ण हितों वाले सभी देशों के आर्थिक व सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाना प्रमुख प्राथमिकता है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बैठक से पहले जापानी प्रकाशन ‘निक्केई एशिया’ से क्वाड को संस्थागत बनाने के लिए वाशिंगटन के प्रयास के बारे में बात की. प्रकाशन ने उनके हवाले से कहा, ‘‘जो हम कर रहे हैं, एक बार वह संस्थागत हो जाए तो हम सभी चारों एक सच्चा सुरक्षा ढांचा बना सकते हैं.’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘साझा मूल्यों के साथ जीवंत और बहुलवादी लोकतंत्रों के रूप में हमारे देशों ने स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत बनाए रखने के महत्व की सामूहिक रूप से पुष्टि की है." उन्होंने कहा, ‘‘हम नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसमें कानून के शासन, पारदर्शिता, अंतरराष्ट्रीय समुद्र क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के प्रति सम्मान और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान शामिल हों.’’ चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बन रही स्थिति पिछले कुछ वर्षों में प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच एक प्रमुख मुद्दा बन गई है. अमेरिका, चीन की गतिविधियों पर काबू करने के लिए क्वाड को सुरक्षा ढांचा बनाने का पक्षधर रहा है.

विदेश मंत्री ने अपने संबोधन मे यह भी कहा कि यह संतोष की बात है कि हिंद-प्रशांत सिद्धांत को तेजी से व्यापक स्वीकृति मिल रही है. उन्होंने कहा, "हमारा मकसद इस क्षेत्र में वैध और महत्वपूर्ण हितों वाले सभी देशों की सुरक्षा और आर्थिक हितों को आगे बढ़ाना है." जयशंकर ने हिंद-प्रशांत महासागर के बारे में की गई पहल का भी जिक्र किया जो पिछले साल पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा प्रस्तुत की गई थी. विदेश मंत्री ने क्वाड बैठक से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पिओ के साथ द्विपक्षीय वार्ता की जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुई. जयशंकर ने ट्वीट किया, " पोम्पिओ के साथ द्विपक्षीय बैठक से मेरी तोक्यो यात्रा शुरू हुयी. इतने सारे क्षेत्रों में हमारी साझेदारी की प्रगति को देखकर खुशी हुयी. हिंद-प्रशांत में स्थिरता और समृद्धि के लिए मिलकर काम करेंगे." जयशंकर ने क्वाड बैठक में कोविड-19 का भी जिक्र किया और कहा कि इस वर्ष की घटनाओं ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है कि विभिन्न चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए समान सोच वाले देशों के बीच समन्वय कितना जरूरी है.

उन्होंने कहा, "आप सभी जानते हैं कि भारत अगले साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता ग्रहण करने वाला है. हम बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार और महामारी से उबरने सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के सामूहिक समाधान की तलाश में हैं.’’ जयशंकर ने कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे के विकास, आतंकवाद से मुकाबला, साइबर और समुद्री सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा की. क्वाड ढांचे के तहत चार देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक पिछले साल सितंबर में न्यूयॉर्क में हुई थी. पोम्पिओ ने अपने संबोधन में स्वतंत्र एवं मुक्त हिन्द-प्रशांत सुनिश्चित करने पर जोर दिया और कहा कि समूह के देशों के बीच वार्ता उस ‘‘अच्छे परिणाम’’ को हासिल करने पर केंद्रित होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘इस क्वाड में भागीदार के रूप में, यह हमेशा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हम अपने लोगों और साझेदारों की चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शोषण, भ्रष्टाचार और दादागीरी से रक्षा करें. हमने यह दक्षिण में, पूर्वी चीन सागर में, मेकोंग, हिमालय, ताइवान जलडमरूमध्य में देखा है. ये केवल कुछ उदाहरण हैं.’’ भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विदेश मंत्रियों ने स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिन्द-प्रशांत की परिकल्पना की पुन: पुष्टि की. इसने कहा कि मंत्रियों ने पारस्परिक हित के क्षेत्रीय मुद्दों, कनेक्टिविटी से जुड़े मुद्दों, मानवीय सहायता, आपदा राहत, समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और आतंकवाद रोधी कदमों पर विचारों का अदान-प्रदान किया.

वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि मंत्रियों ने हिन्द-प्रशांत में हालिया रणनीतिक घटनाक्रमों की समीक्षा की और समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, अवसंरचना गुणवत्ता और आतंकवाद रोधी कदमों पर सहयोग बढ़ाने के तौर तरीकों पर चर्चा की. ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मैरिसे पाइने ने बैठक में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया. बाद में, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि हिन्द-प्रशांत में रणनीतिक संतुलन को बढ़ावा देने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी. उधर, चीन ने क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक की मंगलवार को एक बार फिर निन्दा की और कहा कि वह तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान पहुंचाने वाला ‘‘विशेष गुट’’ बनाए जाने के खिलाफ है.