सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने एक बार फिर से बाबरी मस्जिद को लेकर बयान दिया है. वसीम ने कहा कि हिंदुस्तान की जमीन पर बाबरी ढांचा कलंक है. बाबरी को मस्जिद कहना गुनाह-ए-अज़ीम है, क्योंकि मस्जिद के नीचे की खुदाई 137 मजदूरों ने की थी जिसमें 52 मुसलमान थे. उन्होंने कहा कि खुदाई के दौरान 50 मंदिर के स्तंभों के नीचे के भाग में ईंटों का बनाया गया चबूतरा मिला था. इतना ही नहीं मंदिर से जुड़े कुल 265 पुराने अवशेष मिले थे.
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जिसके आधार पर भारतीय पुरातत्व विभाग इस निर्णय पर पहुंचा था कि ऊपरी सतह पर बनी बाबरी ढांचा के नीचे एक मंदिर दबा हुआ है.रिजवी ने आगे कहा कि सीधे तौर से माना जाए कि बाबरी इन मंदिरों को तोड़कर इन के मलबे पर बनाई गई है. इसका उल्लेख केके मोहम्मद द्वारा उनकी किताब 'मैं भारतीय हूं' में किया गया है. ऐसी स्थिति में उस बाबरी कलंक को मस्जिद कहना इस्लाम के सिद्धांतों के विपरीत है.
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि अभी भी वक्त है कि बाबरी मुल्ला अपने गुनाहों की तौबा करें और पैगम्बर मोहम्मद के इस्लाम को माने. अबु बक्र के विचार को छोड़ो. इसके साथ ही एक समझौते की मेज पर बैठकर हार जीत के बगैर राम का हक हिंदुओं को वापस करो और एक नई अमन की मस्जिद लखनऊ में जायज पैसों से बनाने की पहल करो.
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Source : News Nation Bureau