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बक्सवाहा के जंगल में हीरा खनन पर रोक

बक्सवाहा के जंगल में हीरा खनन पर रोक

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान के लिए आवंटित जमीन पर उत्खनन किये जाने पर जबलपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ तथा न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने रोक लगा दी है।

बताया गया है कि आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*योलॉजिकल सर्वे की गयी रिपोर्ट में कहा गया था कि बक्सवाहा के जंगल में स्थित रॉक पेटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की हैं। युगलपीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उत्खनन पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं।

गौरतलब है कि बक्सवाहा हीरा खदान के खिलाफ उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की गयी थीं। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर की गई याचिका में बक्सवाहा के जंगल में 25 हजार वर्ष पूर्व की अतिप्रचलित रॉक पेंटिंग को पुरातात्विक संपदा घोषित किये जाने मांग की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि रॉक पेंटिंग की जानकारी दिये जाने के बावजूद भी पुरातत्व विभाग द्वारा इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित नहीं किया गया है। इस क्षेत्र में 364 हेक्टेयर भूमि में प्रस्तावित डायमंड माईनिंग की कार्यवाही कभी भी शुरू हो सकती है। पेंटिंग पाषाण युग में मानव जीवन की जानकारी देने वाले स्त्रोत के लिये महत्वपूर्ण है।

वहीं एक अन्य हरियाणा के फरीदाबाद निवासी रमित बासु, महाराष्ट्र पुणे निवासी हर्षवर्धन मेलांता व उप्र निवासी पंकज कुमार की तरफ से दायर याचिका की गइर्, जिसमें कहा गया था कि हीरे की खदान के लिए आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सल माइनिंग एंड इंड्रस्ट्री को छतरपुर स्थित बक्सवाहा के जंगल की 382 हेक्टेयर जमीन राज्य सरकार द्वारा 50 साल की लीज दी गयी है। हीरा खनन के लगभग सवा दो लाख पेड़ों को काटा जाएगा, जबकि उक्त जंगल पन्ना टाईगर रिजर्व से लगा हुआ है, जो टाईगर कॉरीडोर में आता है, इसके लिये एनटीसीए व वाईल्ड लाइव बोर्ड से अनुमति भी नहीं ली गई।

आवेदकों का कहना है कि वन्यजीवों को जीवन का अधिकार प्राप्त है और वो जंगल में रहते हैं। जब जंगल नष्ट हो जाएंगे तो वन्यप्राणी कहां रहेंगे। पृथ्वी में सभी को जीवन का अधिकार प्राप्त है। बक्सवाहा के जंगल में बड़ी संख्या में वन सम्पदा है और ऐसे जंगल पनपने में हजारों साल लगते हैं। राज्य सरकार ने लाभ के लिए जंगल की जमीन को लीज पर दिया है, जो गलत निर्णय है।

युगलपीठ ने पूर्व में याचिका की सुनवाई करते हुए आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*योलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे। आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*योलॉजिकल सर्वे द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में रॉक पेटिंग के संबंध में उक्त जानकारी पेश की गयी। रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने उत्खन्न पर रोक लगाने के निर्देश जारी किये हैं। याकिचाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा तथा अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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