मध्यप्रदेश में चुनावी बिसात बिछ चुकी है और सियासी मोहरे जमाए जा रहे हैं। राज्य की राजनीति के दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में आधी आबादी के वोट पर कब्जा करने की मुहिम तेजी पर है। यही कारण है कि कोई लाडली बहना की बात कर रहा है तो कोई नारी सम्मान की।
राज्य के कुल मतदाताओं में महिला वोटरों की तादाद लगभग आधी है। लिहाजा किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनाव जीतना है तो महिलाओं का दिल जीतना ही होगा। वर्ष 2018 के हुए विधानसभा चुनाव अब भी रह-रह कर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को आगाह करते रहते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही दलों को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, हां कांग्रेस को बढ़त जरुर मिली थी। यही कारण है कि दोनों ही दल सियासी दांव चलने के मामले में पीछे नहीं है।
भाजपा की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना को अमलीजामा पहनाया है। इसके तहत पात्र महिलाओं ने आवेदन किया और 10 जून से महिलाओं के खाते में राशि आने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। इस योजना में पात्र महिलाओं के लिए कुछ शर्तों का भी निर्धारण किया गया है। अनुमान है कि ढाई करोड़ महिला मतदाताओं में से लगभग एक करोड़ महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल सकता है।
राज्य सरकार की लाडली बहना योजना से कुछ महिलाओं की नाराजगी भी सामने आने की आशंका को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना का ऐलान किया है। पार्टी इस योजना की शुरूआत नौ मई से करने जा रही है जिसमें महिलाओं से आवेदन जमा कराए जाएंगे, इसके लिए कोई शर्त नहीं रखी गई है अर्थात सभी महिलाएं पंजीयन करा सकेंगी।
कांग्रेस ने ऐलान किया है कि नारी सम्मान योजना के तहत महिलाओं को पंद्रह सौ महीने देंगे, रसोई गैस सिलेंडर पांच सौ रुपये में मिलेगा।
कुल मिलाकर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर महिला वोट बैंक पर है। यही कारण है कि दोनों ही राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तरह से सियासी दांव चल दिए हैं। भाजपा जहां महिलाओं के खाते में 10 जून से राशि डालना शुरू कर देगी, वहीं कांग्रेस सत्ता में आने पर महिलाओं को सुविधा दे पाएगी यह बड़ा सवाल है कि महिलाएं आखिर भरोसा किस पर करेंगी।
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Source : IANS