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पश्चिम बंगाल चुनावी हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और केंद्र से किया जवाब तलब

कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद हुए मर्डर, रेप केस की CBI जांच का आदेश दिया था. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने SC का रुख किया है.

Updated on: 28 Sep 2021, 03:41 PM

highlights

  • ममता सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
  • सीबीआई, केन्द्र और HC में याचिकाकर्ता रहे लोगों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
  • अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में चुनाव (Election) बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच के खिलाफ ममता सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सीबीआई (CBI), केन्द्र और HC में याचिकाकर्ता रहे लोगों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद हुए मर्डर, रेप केस की CBI जांच का आदेश दिया था. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने SC का रुख किया है. आज पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कपिल सिब्बल पेश हुए.

ममता सरकार के वकील सिब्बल ने दलील दी कि कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर NHRC ने कमिटी बनाई. उसमें 7 सदस्यों में से 3 विपक्षी पार्टी की विचारधारा के थे. अगर कमेटी की एक भी सदस्य की निष्पक्षता पर संदेह है तो इस कमेटी का कोई औचित्य नहीं है.

सिब्बल ने आगे कहा कि कमेटी ने 30 जून अंतरिम रिपोर्ट दी. राज्य सरकार के मांगने के बावजूद कमेटी की रिपोर्ट उसे नहीं दी गई. बल्कि HC ने राज्य सरकार को लेकर तीखी टिप्पणी ज़रूर की.

कपिल सिब्बल ने कोर्ट को आगे कहा कि रेप से जुड़ी शिकायतों को लेकर भी annexure भी हमे इस आधार पर नहीं दिया गया कि इससे शिकायतकर्ताओ के नाम खुलासा होगा. आप ऐसे मामलों में प्राइवेट पार्टी के सामने नाम नहीं खुलासा कर सकते. पर राज्य सरकार के साथ ये साझा करने में क्या दिक़्क़त है!

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इस मामले में जो टाइम लाइन है, वो न्याय के पाकृतिक सिद्धांत के खिलाफ है. मुजफ्फरनगर दंग केस में ख़ुद सुप्रीम कोर्ट में हर केस की तह तक जाने में 5 महीने लगें. सिब्बल ने कोर्ट के सामने ये बात रखी.

सिब्बल ने कहा कि HC के आदेश में कहा गया था कि कमेटी दंगा प्रभावित इलाकों में जाएगी और लोगों में विश्वास बहाली के ज़रूरी कदम के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दायर करेगी. कमेटी उन लोगों के बारे में पता करेगी  जिनकी प्रथमदृष्टया अपराध में भूमिका साबित होती है या वो पुलिस अधिकारी जो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाए.

सवाल ये है कि आखिर कमेटी किस आधार पर बिना जांच के इन निष्कर्ष पर पहुंच सकती है और फिर इस कमेटी की रिपोर्ट पर CBI /SIT जांच का आदेश आ जाता है. सिब्बल ने फिर दोहराया कि HC ने बिना राज्य सरकार को अपनी बात रखने का मौका दिए हुए सीबीआई जांच का आदेश सुना दिया. जिस तरह की टिप्पणी की गई, उससे देश भर में सरकार की प्रतिष्ठा धूमिल हुई.