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कारगिल युद्ध: तिरंगा फहराते हुए कहा था वह परमवीर, 'यह दिल मांगे मोर..'

कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे हो चुके हैं. आज ही के दिन यानि 07 जुलाई 1999 को भारत मां का एक सपूत देश पर न्यौछावर हुआ था.

Updated on: 07 Jul 2019, 07:30 PM

नई दिल्‍ली:

कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे हो चुके हैं. आज ही के दिन यानि 07 जुलाई 1999 को भारत मां का एक सपूत देश पर न्यौछावर हुआ था. उनकी वीरता के किस्से देश के हर नागरिक की जुबां पर हैं. हम बात कर रहे हैं कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)की. कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)वही हैं, जिन्होंने कारगिल के प्वांइट 4875 पर तिरंगा फहराते हुए कहा था यह दिल मांगे मोर. विक्रम 13वीं जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स में थे. तोलोलिंग पर पाकिस्तानियों द्वारा बनाए गए बंकर पर विक्रम ने न केवल कब्जा किया बल्कि गोलियों की परवाह किए बिना ही अपने सैनिकों को बचाने के लिए 7 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों को सीधे भिड़ गए. आज उस चोटी को बत्रा टॉप से जाना जाता है. सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र देकर सम्मानित किया. पढ़िए इस परमवीर की शहादत की गौरव गाथा...

20 साल पहले 7 जुलाई 1999 को आज ही के दिन करगिल के हीरो विक्रम बत्रा (Vikram Batra)अपने साथी ऑफिसर को बचाते हुए शहीद हो गए थे. शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)को उनके दोस्त और दुश्मन 'शेरशाह' के नाम से पुकारते थे. बत्रा के नेतृत्व में ही 19 जून 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से प्वाइंट 5140 छीन लिया था. विज्ञान में स्नातक विक्रम बत्रा (Vikram Batra)की सेना में ज्वॉइनिंग सीडीएस के जरिए सेना में हुई थी.

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जुलाई 1996 में उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में प्रवेश मिला. 6 दिसम्बर 1997 को 13 जम्मू और कश्मीर रायफल्स में लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर उन्हें नियुक्ति मिली. जिसके बाद उन्होंने कमांडो ट्रेनिंग भी ली. 1 जून 1999 को विक्रम बत्रा (Vikram Batra)की कमांडो टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया. हम्प व राकी नाब को जीतने के बाद इन्हें पदोन्नति कर कैप्टन बना दिया गया. जिसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सामरिक रूप से सबसे महत्त्वपूर्ण चोटी संख्या 5140 को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदारी कैप्टन बत्रा की टुकड़ी को मिली. उन्होंने अकेले ही 3 घुसपैठियों को मार गिराया था. बेहद दुर्गम क्षेत्र और प्रतिकूल परिस्थिति होने के बावजूद विक्रम बत्रा (Vikram Batra)ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर इस चोटी पर तिरंगा फहरा दिया. जिसके बाद विक्रम बत्रा (Vikram Batra)ने इस चोटी से रेडियो के जरिए अपन कमांड को विजय उद्घोष ‘ये दिल मांगे मोर’ कहा.

इन्‍हें भी जानें 

  • चोटी 5140 में भारतीय झंडे के साथ विक्रम बत्रा (Vikram Batra)और उनकी टीम का फोटो पूरी दुनिया ने देखा जो कारगिल युद्ध की पहचान बनी.
  • इसी दौरान विक्रम बत्रा (Vikram Batra)को 'शेरशाह' के साथ ही 'कारगिल का शेर' का नाम मिला.
  • इसके बाद सेना ने विक्रम बत्रा (Vikram Batra)और उनकी टीम को चोटी 4875 को भी कब्जे में लेने की जिम्मेदारी सौंपी.
  • उन्होंने जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैयर और अपने साथियों के साथ इस चोटी को जीतने में लग गए.
  •  यह चोटी समुद्र तल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री की चढ़ाई पर पड़ता था
  •  7 जुलाई 1999 को एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)महज 24 साल की उम्र में शहीद हो गए.

 ‘तुम हट जाओ, तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं

इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ, तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं.' जब कैप्टन बत्रा लेफ्टीनेंट को बचाने के लिए उनको पीछे घसीट रहे थे उसी समय उनके सीने पर गोली लगी और वे 'जय माता दी' कहते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. अदम्य साहस और पराक्रम के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)को 15 अगस्त 1999 को परमवीर चक्र के सम्मान से नवाजा गया जो उनके पिता जीएल बत्रा ने प्राप्त किया.

कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रोफाइल

  • 9 सितम्बर, 1974 की पैदाइश.
  • कारगिल वॉर के दौरान मोर्चे पर तैनात.
  • बढ़ी हुई दाढ़ी में 22 साल का लड़का.
  • कारगिल के पांच सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट जीतने में मेन रोल निभाने वाला.
  • परमवीर चक्र पाने वाला आखिरी आर्मी मैन.

वो इंसान, जिसने मरने से पहले अपने बहुत से साथियों को बचाया. और जिसके बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता. शुरुआती पढ़ाई के लिए विक्रम किसी स्कूल में नहीं गए थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई घर पर ही हुई थी और उनकी टीचर थीं उनकी मम्मी. अक्सर अपने मिशन में सक्सेसफुल होने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)जोर से चिल्लाया करते थे, ‘ये दिल मांगे मोर.’

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उनके साथी नवीन, जो बंकर में उनके साथ थे, बताते हैं कि अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटा. नवीन बुरी तरह घायल हो गए. पर विक्रम बत्रा (Vikram Batra)ने तुरंत उन्हे वहां से हटाया, जिससे नवीन की जान बच गई. पर उसके आधे घंटे बाद कैप्टन ने अपनी जान दूसरे ऑफिसर को बचाते हुए खो दी.

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विक्रम बत्रा (Vikram Batra)के बारे में बताते हुए नवीन इमोशनल हो जाते हैं. एक वाकया और सुनाते हैं कि पाकिस्तानी घुसपैठिये लड़ाई के दौरान चिल्लाए, ‘हमें माधुरी दीक्षित दे दो. हम नरमदिल हो जाएंगे’. इस बात पर कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)मुस्कुराए और अपनी AK-47 से फायर करते हुए बोले, ‘लो माधुरी दीक्षित के प्यार के साथ’ और कई सैनिकों को मार गिराया.

विक्रम का जिक्र आते ही ये जुमले लोगों की जुबान पर आ जाते हैं –

‘या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा. पर मैं आऊंगा जरूर.’

‘ये दिल मांगे मोर.’

‘हमारी चिंता मत करो, अपने लिए प्रार्थना करो.’

7 जुलाई को कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)की बरसी होती है.

पाकिस्तान ने 'शेरशाह' नाम दिया

कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)की बहादुरी के किस्से भारत में ही नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी महशूर है. पाकिस्तानी सेना ने उन्हें 'शेरशाह' नाम दिया था.

ठुकरा दी थी मर्चेंट नेवी की नौकरी

  • 1997 में विक्रम बत्रा (Vikram Batra)को मर्चेंट नेवी से नौकरी का ऑफर आया लेकिन उन्होंने लेफ्टिनेंट की नौकरी को चुना.
  • 1996 में इंडियन मिलिट्री एकैडमी में मॉनेक शॉ बटालियन में उनका चयन किया गया.
  • उन्हें जम्मू कश्मीर राइफल यूनिट, श्योपुर में बतौर लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया.
  • कुछ समय बाद कैप्टन रैंक दिया गया.
  •  उन्हीं के नेतृत्व में टुकड़ी ने 5140 पर कब्जा किया था.

विक्रम की प्रेमिका और उनकी प्रेम कहानी

विक्रम को प्यार था डिंपल चीमा से. दोनों की मुलाकात करगिल युद्धल की लड़ाई से पहले 1995 में पंजाब यूनिवर्सिटी हुई थी. जहां दोनों अंग्रेजी से MA की पढ़ाई कर रहे थे. दोनों दोस्ती प्यार में बदल गई. फिर 1996 में, विक्रम का इंडियन मिलिट्री अकादमी (IMA) में सेलेक्शन हो गया जिसके बाद वह देहरादून चले गए और कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी. विक्रम अपने सेलेक्शन से काफी खुश थे, लेकिन उनकी प्रेमिका जानती थी कि विक्रम के दूर चले जाने पर उनके रिश्ते में दूरियां बढ़ सकती हैं. कारगिल युद्ध खत्म होने के बारे में विक्रम ने वादा किया था कि वह प्रेमिका से शादी करेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. उनकी प्रेमिका ने वक्त को याद करते हुए कहा था कि "वो लौटा नहीं और जिंदगी भर के लिए मुझे यादें दे गया".

पिता की इच्छा, नई पीढ़ी को पढ़ाएं कारगिल के किस्से

शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)के पिता गिरधारी लाल बत्रा कहते हैं- वह उस फोन कॉल को कभी नहीं भूल सकते, जो उनके बेटे ने बंकर पर कब्जा करने के बाद उनसे की थी. सरकार को शहीदों की याद को ताजा रखने के लिए समय-समय पर अन्य घोषणाएं करनी चाहिए. कारगिल युद्ध के जांबाज योद्धाओं की यादों को ताजा रखने के लिए उनके बारे में पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाया जाना चाहिए. हमने भी पूर्व योद्धाओं के बारे में पुस्तकों में पढ़ा है. हालांकि उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि उनके बेटे पर फिल्म बनी है.

विक्रम बत्रा (Vikram Batra)का रोल अभिषेक बच्चन ने ऩिभाया

साल 2003 में कारगिल पर बनी फिल्म LOC कारगिल में कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra)का रोल अभिषेक बच्चन ने किया था.