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विकास दुबे की मुठभेड़ पर सवालिया निशान, अब गर्माएगी सूबे की सियासत

मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के सामने से गुरुवार को विकास दुबे (Vikas Dubey) की नाटकीय गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को ही कानपुर में सुबह हुई मुठभेड़ (Encounter) में गैंगस्टर के मारे जाने तक का घटनाक्रम कई सवालिया निशान छोड़ता है.

Updated on: 10 Jul 2020, 08:35 AM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के सामने से गुरुवार को विकास दुबे (Vikas Dubey) की नाटकीय गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को ही कानपुर में सुबह हुई मुठभेड़ (Encounter) में गैंगस्टर के मारे जाने तक का घटनाक्रम कई सवालिया निशान छोड़ता है. इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि अब योगी सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप के नए दौर के साथ सूबे की सियासत भी गर्माएगी. उज्जैन से कानपुर लाए जाते वक्त कानपुर के पास एसटीएफ की पलटी गाड़ी की खबर आते ही पूरे घटनाक्रम पर कई सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं.

गाड़ी पलटी ही मुठभेड़ के लिए
घटनास्थल की जो फोटो सामने आई है उससे ऐसा लग रहा है कि एसटीएफ की गाड़ी पलटी ही विकास दुबे का एनकाउंटर करने के लिए थी. हालांकि अभी एसटीएफ का अधिकृत बयान आना बाकी है, लेकिन वह जो भी होगा वह कई छेदों से भरा होगा. गुरुवार को विकास दुबे की नाटकीय गिरफ्तारी के साथ ही एक-साथ परस्पर विरोधाभासी बयान आने लगे थे. किसी में फूल वाला पहचानने की बात कर रहा था, तो किसी में मंदिर के पुजारी की ओर से पहचान का दावा किया जा रहा है. इस बात का कोई स्पष्ट जवाब नहीं था कि आखिर विकास दुबे कानपुर से उज्जैन पहुंचा कैसे?

गिरफ्तारी भी रही नाटकीय
कहने को उज्जैन से एक गाड़ी बरामद की गई, जो लखनऊ के किसी वकील की थी. इसके साथ ही दो वकीलों को भी हिरासत में लिया गया. लेकिन लाख टके का सवाल अभी भी अनुत्तरित रहा कि आखिर विकास दुबे कैसे जगह-जगह पुलिस के बंदोबस्त को धता बता उज्जैन पहुंच गया. उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाहर भी विकास दुबे आराम से घूम रहा था, जिसे निजी सुरक्षा एजेंसियों के गार्ड ने पकड़ा था. इसके बाद फिर तमाम तरह की खबरें आती हैं. मसलन मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से फोन पर बातचीत. कांग्रेस का नरोत्तम मिश्रा की आड़ में गिरफ्तारी पर सवाल उठाना.

भागने की कोशिश में मारा गया
इन सबके बीच खबर आती है कि एसटीएफ विकास दुबे को प्लेन से कानपुर लेकर जाएगी. लेकिन पता चलता है कि वह सड़क मार्ग से निकली और शुक्रवार सुबह कानपुर देहात के भौती, नोबस्ता हाईवे, पर एसटीएफ की वही गाड़ी दुर्घटना का शिकार होकर पलटती है, जिसमें शातिर सवार होता है. फिर वही होता है, जो हिंदी फिल्मों में होता है. बदमाश पुलिस से हथियार छीन कर भागने की कोशिश करता है. पुलिस ललकारती है, जवाब में गैंगस्टर गोलियां चलाता है और अंततः मुठभेड़ में गैंगस्टर मारा जाता है.

अब गर्माएगी सियासत
विकास दुबे जैसे दुर्दांत अपराधी का मुठभेड़ में मारा जाना प्राकृतिक न्याय जैसा लगता है. हालांकि विकास दुबे को इस कदर बेखौफ बनाने में जिस राजनीतिक आपराधिक गठजोड़ का हाथ रहा है, उसके तमाम राज विकास दुबे के साथ ही दफन हो गए हैं. हालांकि कहने को तो कुछ लोग दबे-छिपे सुर में कह भी रहे हैं कि पुलिस को जितना विकास दुबे से पूछना था, वह कल ही हो गया था. उसके जीवित रहने से छीछालेदर ही और होती, ऐसे में उसका मारा जाना तय था. लेकिन गिरफ्तारी से लेकर मुठभेड़ तक के बीच उठ रहे सवालों का जवाब अब कहां से मिलेंगे...