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Delhi Violence : HC में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ, सबकुछ जानें एक क्लिक में

दिल्ली दंगे पर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस सुनवाई में बीजेपी नेताओं के खिलाफ FIR और हिंसा की जांच के लिए SIT के गठन की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने आदेश दिया है कि हेट स्पीच के सभी मामले में FIR दर्ज की जाए.

Updated on: 26 Feb 2020, 05:33 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली दंगे (Delhi Riots) पर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सुनवाई हुई. इस सुनवाई में बीजेपी (BJP) नेताओं के खिलाफ FIR और हिंसा की जांच के लिए SIT के गठन की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने आदेश दिया है कि हेट स्पीच के सभी मामले में FIR दर्ज की जाए. दिल्ली हाईकोर्ट में सॉलिटर जनरल तुषार मेहता की पैरवी को लेकर वकील राहुल मेहरा ने सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल बिना दिल्ली सरकार की सलाह के पुलिस की पैरवी नहीं कर सकते. यह नियमों के खिलाफ है.

तुषार मेहता ने मांग की है कि केंद्र को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए और सुनवाई कल रखने की बात कही. लेकिन जस्टिस मुरलीधर सुनवाई टालने के मूड में नहीं दिखे. उन्होंने कहा आप हमे लॉ अफसर होने के नाते संतुष्ट करें कि इस केस में अर्जेंसी की ज़रूरत क्यों नहीं है.

दंगे के घायल सुरक्षित अस्पताल पहुंचाए गए

2:30 बजे एक बार फिर से सुनवाई हुई. जिसमें पुलिस ने कोर्ट को बताया कि कल रात हुई सुनवाई में दिये गए कोर्ट के आदेश के मुताबिक दंगो में घायल लोगों को सुरक्षित सरकारी अस्पताल में पहुँचा दिया गया है. कोर्ट ने पुलिस की इस बात के लिए सरहाना भी की है. जिसके बाद महमूद प्राचा ने मांग की है कि ऐसे ही निर्देश कोर्ट को लोगों के शव को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाने के लिए जारी करना चाहिए.

एक और 1984 दिल्ली में नहीं होने देंगे

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि सरकार को विश्वास बहाली के लिए कदम उठाने चाहिए. ये डर कि लोग अपने घर नहीं लौट सकते खत्म होना चाहिए. सरकारी मशीनरी को हर पीड़ित से सम्पर्क करना चाहिए. ये ऐसा देश है, जहां अलग-अलग धर्म, संस्कृति के लोग रहते हैं. हम कोर्ट और पुलिस की निगरानी में दूसरे 1984 के दंगो होने की इजाज़त नहीं दे सकते. हमे बहुत बहुत ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है. कोर्ट ने कहा कि हमें आईबी के अफसर पर हमले की जानकारी मिली है. ये बेहद गंभीर है. इन चीज़ों पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है.

कपिल मिश्रा की सुनवाई

कोर्ट ने कपिल मिश्रा की स्पीच के बाद हिंसा के मामले में एफआईआर पर सुनवाई की. SG तुषार मेहता ने कहा कि कपिल मिश्रा ने जो स्पीच में कहा, उसका उसके बाद हुई हिंसा की घटनाओं से कोई सीधा वास्ता नहीं है. FIR संजीदा मसला है. उस पर फैसला लेने के लिए सारे मेटीरियल को देखना होगा. जाहिर तौर पर उसके लिए और वक्त चाहिए. वहीं दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि FIR दर्ज न करने का कोई औचित्य नजऱ नहीं आता. ये FIR संदेह के आधार पर दर्ज होनी चाहिए. अगर बाद में FIR गलत पाई जाये तो FIR रद्द हो सकती है.

'क्या हम वीडियो प्ले करें'

वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने भी SG तुषार मेहता का विरोध किया. उन्होंने कहा- दुःख की बात है कि सरकार अभी भी FIR के लिए इतंज़ार करने की बात कह रही है.भड़काऊ नारों ने लोगों के मन में डर पैदा किया है. अनुराग ठाकुर के भड़काऊ नारे के बाद लोगों ने मार्च निकाला. अनुराग ठाकुर के वीडियो वायरल होने के बाद दंगे शुरु हुए. कल एक नवनिर्वाचित विधायक ने भी अनुराग ठाकुर के गोली मारो की तर्ज पर पब्लिक बयान जारी किया.

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SG तुषार मेहता ने कहा कि मैने सभी वीडियो नहीं देखे हैं. इस पर जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि मिस्टर तुषार मेहता अगर आपने ये वीडियो ने नहीं देखे तो हम कोर्ट में प्ले कर सकते हैं. जिस पर मेहता ने कहा कि इसकी कोऊ जरूरत नहीं है.

कपिल मिश्रा का वीडियो चलाया गया

कोर्ट रूम के अंदर कपिल मिश्रा के बाद, लक्ष्मीनगर के विद्यायक अभय वर्मा का "गोली मारो" वाला वीडियो चलाया गया. इसके अलावा कोर्ट ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा का भी वीडियो देखा. इस वीडियो के चलने के दौरान एक वकील ने टोका कि ओवैसी और बाकी लोगों के भी वीडियो भी हैं. कोर्ट उन्हें भी देख ले. जिस पर कोर्ट ने वकील को ना टोकने की बात कहते हुए कहा अगर कोर्ट को ज़रूरी लगेगा तो उन्हें भी देखा जाएगा. वीडियो देखने के बाद कोर्ट ने पूछा कि क्या इनमे से किसी भी नेता ने इन नारों की सत्यता पर सवाल उठाए है या क्लिप से छेड़छाड़ की बात कही है. जिस पर कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा नहीं किसी ने भी वीडियो की सत्यता पर सवाल नहीं उठाए हैं. बल्कि वो तो ऐसे नारे लगाकर ख़ुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. सिर्फ कानून के पूरी तरह से अमल से ऐसी सूरत में इंसाफ हो सकता है.

बीजेपी नेताओं की गिरफ्तारी से क्या दिक्कत

कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि ये मामला सिर्फ FIR दर्ज करने तक सीमित नहीं है. पुलिस को ये भी साफ करना चाहिए कि आखिर उसे बीजेपी नेताओं की तुंरत गिरफ्तारी से दिक्कत क्या है. ये वही लोग है कि इलाहाबाद HC पुलिस क्रूरता को लेकर अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश देते हैं, लेकिन एक FIR दर्ज नहीं होती है. ये सब लोग उसी ग्रुप से हैं. मंत्री लोगों को गोली मारने के बयान देते हैं. दंगाई लोगों को मारते हैं. पुलिस ये सब होते हुए देखती रहती है. एक सख्त सन्देश देने की ज़रूरत है कि अगर आप भड़काऊ भाषण देते है तो बचेंगे नहीं. 

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SG ने इस बात का विरोध किया. इसके साथ कहा कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ तीन ही वीडियो पेश किए हैं. ऐसा बताया जा रहा है जैसे यहां सारे दंगे महज इन तीन वीडियो से फैले हैं. अगर मैं भी ऐसे ही दूसरे वीडियो प्ले करना शुरू कर दूं तो बड़ी विचित्र स्थिति हो जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि आप पुलिस के मनोबल को गिराने की इजाजत मत दीजिए. यूं पब्लिक में पुलिस फोर्स को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए. पुलिस वाले ड्यूटी पर मर रहे हैं, उन पर एसिड अटैक हो रहे हैं. कोर्ट अफसर होने के नाते हमें ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण माहौल का बेजा फायदा उठाने से बचना चाहिए.

हेट स्पीच में FIR दर्ज करने का आदेश

दिल्ली HC ने सुनवाई के बाद भड़काऊ भाषण के मामले में तुंरत FIR दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने वहां मौजूद पुलिस अधिकारी से कहा कि वो HC के आदेश की जानकारी तत्काल पुलिस कमिश्नर को दें. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हमारा आदेश सिर्फ बीजेपी के 3 नेताओं के वीडियो तक सीमित नहीं है. हर हेट स्पीच के मामले में FIR दर्ज होनी चाहिए.

क्या शहर के खाक होने के बाद होगी FIR

जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उपयुक्त स्टेज आने पर FIR दर्ज करने का फैसला लिया जयेगा तो कोर्ट ने सवाल किया कि- उपयुक्त समय कब आएगा? जब पूरा शहर जल जाएगा? इसके लिए कितनी ज़िन्दगी गवानी होगी. कितनी सम्पतियों का नुकसान झेलना होगा. अगर आप FIR दर्ज नहीं करते तो ग़लत सन्देश जाता है. एक हेट स्पीच के बाद लगातार हेट स्पीच का सिलसिला चलता रहता है. अगर आप FIR दर्ज नहीं करेगे तो फिर एक्शन कैसे लेंगे. FIR में हर दिन की देरी स्थिति को बदरत बनाती है. जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि हम शांति चाहते हैं. इस शहर ने बहुत हिंसा को देख लिया. फिर से 1984 दंगे को दोहराने की इजाज़त नहीं दी जा सकती.