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VIDEO: सहज योग के द्वारा स्वयं को पहचानो! अपने जीवन में अपनाएं और जानें इसके लाभ, पूर्णत: निशुल्क

सहज योग का अर्थ है सह आपके साथ और ज जन्मा हुआ योग से तात्पर्य मिलन या जुड़ना अत: वह तरीका जिससे मनुष्य का सम्बन्ध (योग) परमात्मा से हो सकता है. सहज योग कहलाता है.

Updated on: 02 May 2020, 03:05 PM

नई दिल्ली:

कोरोना के कहर से पूरा देश अस्त व्यस्त है. लोग जान बचाने को तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. कब तक इसका कहर बना रहेगा, कुछ कहना मुश्किल है. इससे पहले लोगों ने विकास के नाम पर पर्यावरण (Environment) के साथ जो किया, आज उसी का नतीजा है कि हम यहां पहुंच चुके हैं. लॉकडाउन के चलते हवा की शुद्धता बढ़ गई है. प्रदूषण का स्तर बहुत ही नीचे गिर गया है. जिस गंगा का पानी जहरीला हो गया था, आज उसी गंगा का पानी शुद्ध और पवित्र हो गया है. वीरान सड़कें पर चिड़िया और जंगली जानवर विचरण करते नजर आ रहे हैं. ओजोन परत में जो छेद हो गया था, काफी हद तक भर गया है.

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रमपूज्य श्री माता जी निर्मला देवी (Nirmala devi) के वचनों को सुनें 

लोग अपने संस्कृति और सभ्यता को भूल गए. पश्चिमी की आंधी में ऐसे उड़ गए कि ना इधर के रहे और ना उधर के. कोरोना से लड़ने के लिए पीएम मोदी समेत आयुष मंत्रालय ने योग (Yoga) के विधि के बारे में बताया है. योग करने से इम्यून सिस्टम काफी मजबूत होता है. रोग को प्रवेश करने से रोकता है. अपने आप को पहचानना के लिए लॉकडाउन से अच्छा अवसर कोई और नहीं हो सकता है. समय है सहज योग के माध्यम से स्वयं को पहचानो. परमपूज्य श्री माता जी निर्मला देवी (Nirmala devi) के वचनों को सुनें और योग के माध्यम से स्वयं को जानो कि हम कौन हैं? कहां आए हैं? क्यों आए हैं? सारे प्रश्नों के जवाब मिल जाएंगे. सहज योग पूरी तरह से निशुल्क है.

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सहज योग क्या है?

सहज योग (sahaj yoga) का अर्थ है सह आपके साथ और ज जन्मा हुआ योग से तात्पर्य मिलन या जुड़ना अत: वह तरीका जिससे मनुष्य का सम्बन्ध (योग) परमात्मा से हो सकता है. सहज योग कहलाता है. मानव शरीर में जन्म से ही एक शुक्ष्म तन्त्र अद्रश्य रूप में हमारे अन्दर होता है, जिसे आध्यात्मिक भाषा में सात चक्र और इड़ा, पिंगला, शुशुम्ना नाड़ियों के नाम से जाना जाता है इसके साथ परमात्मा कि एक शक्ति कुण्डलिनी नाम से मानव शरीर में स्थित होती है. यह कुण्डलिनी शक्ति बच्चा जब मां के गर्भ में होता है और जब भ्रूण दो से ढाई महीने (60 से 75 दिन) का होता है तब यह शिशु के तालू भाग (limbic area) में प्रवेश करती है और मश्तिष्क में अपने प्रभाव को सक्रिय करते हुए रीढ़ कि हड्डी में मेरुरज्जु में होकर नीचे उतरती है, जिससे ह्रदय में धडकन शुरू हो जाती है.

आत्मसाक्षात्कार को सहजयोग से प्राप्त किया जा सकता है

इस तरह यह कार्य परमात्मा का एक जिवंत कार्य होता है जिसे डॉक्टर बच्चे में एनर्जी आना बोलते हैं इसके बाद यह शक्ति रीढ़ कि हड्डी के अंतिम छोर तिकोनी हड्डी (sacrum bone) में जाकर साढ़े तीन कुंडल (लपेटे) में जाकर स्थित हो जाती है इसीलिए इस शक्ति को कुण्डलिनी बोलते हैं यह शक्ति प्रत्येक मानव में सुप्तावस्था में होती है जो मनुष्य या अवतार इस शक्ति के जागरण का अधिकारी है वह यह कुण्डलिनी शक्ति जागृत करता है जिससे मानव को आत्मसाक्षात्कार मिलता है तब यह कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो जाती है और सातों चक्रों से गुजरती हुई सहस्त्रार चक्र पर पहुँचती है तब मानव के सिर के तालू भाग में और हाथों कि हथेलियों में ठण्डी -ठण्डी हवा महसूस होती है जिसे हिन्दू धर्म में परम चैतन्य (Vaibrations), इस्लाम में रूहानी,बाइबिल में कूल ब्रीज ऑफ़ द होलिघोस्ट कहा जाता है इस तरह सभी धर्म ग्रंथो में वर्णित आत्मसाक्षात्कार को सहजयोग से प्राप्त किया जा सकता है.

सहज योग करने से लाभ

सहज योग एक आसान पद्धति है जिसे सीख कर हर इन्सान हर जगह व हर कार्य व अपने जीवन में इससे अपने आप को अच्छा कर सकता है व दूसरो की बुराइओ को दूर कर सकता हैं. वह समाज को पतन की तरफ जाते हुए उसे ऊपर उठा सकता है. यह बहुत आसान प्रक्रिया हैं जिसे प्रयोग में लाकर स्वास्थ्य अच्छा रख सकते है व बच्चो की स्मरण शक्ति को बढ़ा सकते हैं, तथा बच्चो को बचपन में चश्मे चढ़े हुए को उतार सकते है, बुजुर्गो को परेशानियो से बचा सकते है. रेप,मर्डर, व स्त्रियो को अपमान से बचा सकते है.