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उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू ने चीफ जस्टिस के हैदराबाद एनकाउंटर वाले बयान पर दिया ये जवाब

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि भारतीय परंपरा में हम महिलाओं को मां और बहन के रूप में मानते थे. लेकिन अब महिलाओं की इज्जत नहीं की जा रही है.

Updated on: 08 Dec 2019, 09:19 PM

नई दिल्ली:

आज पूरा देश रेप की घटनाओं को लेकर गुस्से से भरा हुआ है. रेप पर सियासत हो रही है. इस बीच उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी देश में हो रही रेप की घटनाओं को शर्मनाक बताया. नायडू ने कहा कि भारतीय परंपरा में हम महिलाओं को मां और बहन के रूप में मानते थे. लेकिन अब महिलाओं की इज्जत नहीं की जा रही है.

हैदराबाद एनकाउंटर और इसपर चीफ जस्टिस के बयान को लेकर उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू ने कहा, 'मैं चीफ जस्टिस का बयान देखा, जिसमें उन्होंने कहा था कि आप तुरंत न्याय नहीं दे सकते हैं.' लेकिन एक ही वक्त में आप लगातार देरी नहीं कर सकते हैं. यह बेहद ही चिंता का विषय है हम सबके लिए. सभी लोगों को यह देखना होगा कि वो अपना काम अच्छे से कर रहे हैं.'

पुणे के सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के 16 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘हम निर्भया पर कानून लाए. क्या हुआ? क्या समस्या का हल हो गया? मैं कोई विधेयक या नया कानून लाये जाने के विरूद्ध नहीं हूं लेकिन जो मैं सदैव महसूस करता हूं वह यह है कि इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए राजनीतिक ईच्छाशक्ति एवं प्रशासनिक कौशल जरूरी है. मानसिकता में बदलाव समय की मांग की है और हमें अपने जड़ों और संस्कृति की ओर लौटना चाहिए.’

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उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को धर्म या राजनीति के चश्मे से देखऐ से कहीं ऐसा न हो जाए कि मूल वजह दब जाए. उन्होंने कहा, ‘इससे भारत की बदनामी हो रही है. कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि भारत इसकी-उसकी राजधानी बन रही है. मैं उसमें नहीं पड़ना चाहता...लेकिन हमें अपने देश को नीचा नहीं दिखाना चाहिए और अत्याचार के ऐसे मामलों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.

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बता दें कि हैदराबाद एनकाउंटर के बाद चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा था कि देश में हाल ही के दिनों में हुई घटनाओं ने पुरानी बहस को नए सिरे से तेज कर दिया है. इसमें कोई शक नहीं है कि आपराधिक न्याय प्रणाली को अपने लचरपन और फैसले में लगने वाले समय को लेकर अपना नजरिया बदलना चाहिए. लेकिन, मुझे नहीं लगता कि कभी भी तुरंत न्याय किया जाना चाहिए या न्याय को बदले के रूप तब्दील होना चाहिए.