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ऐसे पड़ी राम मंदिर आंदोलन की नींव, विहिप का अभियान बदला बीजेपी के चुनावी वादे में

संत सम्मेलन, महायज्ञ, महा आरती से शुरू हुआ राम मंदिर आंदोलन अंततः शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपनी निर्णायक गति को प्राप्त हुआ. आइए जानते हैं राम मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण पड़ावों के बारे में.

Updated on: 09 Nov 2019, 05:20 PM

New Delhi:

भले ही बीजेपी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का वादा अपने चुनावी घोषणापत्र में किया हो, लेकिन वह विश्व हिंदू परिषद थी जिसने अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन की नींव रखी. संत सम्मेलन, महायज्ञ, महा आरती से शुरू हुआ राम मंदिर आंदोलन अंततः शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपनी निर्णायक गति को प्राप्त हुआ. आइए जानते हैं राम मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण पड़ावों के बारे में.

    • 1964 में विश्व हिंदू परिषद का गठन हुआ था. इसके दो साल बाद 1966 में अपने सार्वजनिक सत्र में विहिप ने पहली बार अयोध्या में रामजन्मभूमि पर समस्त हिंदुओं की तरफ से दावा ठोंका.
    • 1978 में दिल्ली में इस मसले को पहली बार राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की पेशकश की गई. विहिप ने इस मसले पर साधु-संतों का समर्थन जुटाने के लिए धर्म संसद का आयोजन किया, जिसमें देश भर से साधु-संत जुटे.
    • 1984 के जून महीने में रामजन्मभूमि यज्ञ का आयोजन किया गया. इसे जनआंदोलन बनाने के लिए अक्टूबर 1984 में ही एक अभियान शुरू किया गया. इसके साथ ही विहिप ने हिंदुओं का आह्वान करते हुए सिर्फ उन्हीं नेताओं को वोट देने को कहा, जो हिंदू हितों की बात करें. इसमें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रमुख तौर पर शामिल था.
    • 1985 में विहिप ने राम जानकी रथ यात्रा निकाली. इस रथ यात्रा में राम-जानकी को 1949 से सलाखों के पीछे दिखाती झांकी ने हिंदू समाज को उद्वेलित करने का काम किया.
    • 1986 की फरवरी में फैजाबाद जिला जज के आदेश पर बाबरी मस्जिद के ताले खोले गए. इस घटनाक्रम को हिंदुओं ने अपनी जीत माना और उन्हें लगा कि अंततः अयोध्या का पवित्र स्थान मुक्ति की ओर बढ़ा.
    • 1988 में 11 अक्टूबर को विहिप ने अयोध्या में श्रीराम महायज्ञ के आयोजन की घोषणा की. पांच दिन चले इस महायज्ञ में लाखों हिंदुओं ने हिस्सा लिया. यह महायज्ञ वास्तव में ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के अयोध्या में नमाज पढ़ने की घोषणा के जवाब में आयोजित किया गया था.
    • 1989 में प्रयाग में कुंभ मेले के दौरान महा संत सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें कहा गया कि विवादित स्थल पर भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा.
    • 1989 में 11 जून को भारतीय जनता पार्टी ने पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी विहिप की मांग को अपना समर्थन प्रदान किया.
    • 1990 में बीजेपी और विहिप ने राम रथ यात्रा शुरू की, जिसके बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रोक दिया था. इसके बाद कई इलाकों में दंगे हुए. खासकर अयोध्या में सरयू के तट पर भी कारसेवकों पर शक्ति प्रदर्शन किया गया. हालांकि इस रथ यात्रा से अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन को नई धार मिल गई.
    • 1992 में 6 दिसंबर को अंततः कारसेवकों ने अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वस्त कर दिया. इसके बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे फैल गए. हालांकि अदालती हस्तक्षेप के बाद मामला कानूनी तौर पर दर्ज हुआ.