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कोरोना से ठीक होने के बाद भी बहुत सावधानी की जरूरत, घर में 14 दिन बिल्कुल अकेले काटने होंगे; क्योंकि...

चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के बाद भी रोगी को अपने घर में बिल्कुल अलग थलग अकेले जिंदगी गुजारनी होती है.

Updated on: 09 Apr 2020, 04:51 PM

लखनऊ:

चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के बाद भी रोगी को अपने घर में बिल्कुल अलग थलग अकेले जिंदगी गुजारनी होती है, क्योंकि अभी यह दावा नही किया जा सकता है कि ठीक हो गया व्यक्ति दोबारा इस वायरस के संक्रमण की चपेट में आयेगा या नहीं. यहीं नही कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों का इलाज करने वाले डाक्टर और नर्सो को भी अपने घर परिवार से अलग 14 दिन के एकांत वास में रहना में पड़ता है और वहीं सावधानियां बरतनी पड़ती है जो कि एक कोरोना वायरस से ठीक हुये मरीज को.

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से अब तक चार मरीज ठीक होकर जा चुके है. इनमें 11 मार्च को भर्ती विदेश से आई पहली रोगी, महिला डाक्टर, उनका एक रिश्तेदार, केजीएमयू का एक रेजीडेंट डाक्टर और एक लंदन से आया युवक शामिल हैं. यह सभी अपने अपने घरों में पृथक वास में विशेष सावधानियों के बीच रहे हैं. इस समय केजीएमयू के आइसोलेशन वार्ड में सात रोगी भर्ती है जिनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.

केजीएमयू के इनफेक्शियस डिजीज हॉस्पिटल (संक्रामक रोग) के प्रभारी और कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले डॉ. डी हिमांशु ने गुरुवार को 'भाषा' से एक विशेष बातचीत में बताया ''कोरोना संक्रमित मरीज की दो रिपोर्ट लगातार निगेटिव आने के बाद वे डिस्चार्ज किए जा रहे हैं. सावधानी यह भी बरती जा रही है कि जब एक रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है तो उसके 48 घंटे के अंतर पर दूसरी जांच कराई जाती है. यानी इस प्रक्रिया में यदि कहीं वायरस की कोई संभावना थोड़ी भी शेष बची हो तो वह भी समाप्त हो जाए.

मरीज व उसके परिवार वालों को इस बात के निर्देश दिए जा रहे हैं कि वह 14 दिन तक घर में घर में पृथक वास में रहकर निर्देशों का सख्ती से अनुपालन करें.'' वह बताते हैं कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले उनके घर वालों की भी काउंसलिंग की जाती है. उनसे पूछा गया कि एक बार संक्रमण के बाद क्या दोबारा कोरोना वायरस संक्रमण की संभावना रहती है, इस पर डा हिमांशु बताते है कि इस विषय पर अभी शोध चल रहा है और कुछ भी कह पाना असंभव है. डॉ. हिमांशु कहते हैं कि मंगलवार को तीन मरीजों को डिस्चार्ज किया गया जिनमें केजीएमयू का एक रेजीडेंट डाक्टर, पहली महिला डाक्टर रोगी का एक रिश्तेदार तथा तीसरा लंदन से आया एक युवक.

मरीजों को डिस्चार्ज करने से पहले नहाने के लिए कहा जाता है. इसके बाद उन्हें एक (विशेष रसायन) वाइप से क्लीन किया जाता है. विसंक्रमित किए गए कपड़े पहनाए जाते हैं. उनके द्वारा उतारे गए कपड़ों को इंसीनरेटर में भेज दिया जाता है. उनके सभी सामान को संक्रमण मुक्त किया जाता है. कमरे से बाहर निकलने से पहले उन्हें मास्क व शू कवर पहनाए जाते हैं. कोशिश यही रहती है कि उन्हें एंबुलेंस से ही घर छोड़ा जाए. जो लोग अपनी गाड़ी में जाना चाहते हैं उनकी गाड़ी को हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन स्प्रे कर सैनिटाइज कराया जाता है. उनसे कहा जाता है कि घर पहुंचने के बाद अपनी गाड़ी को फिर से साफ कर सैनीटाइज करें.

घर जाकर सबसे पहले नहाएं और अपने कपड़ों को 0.5 फीसद ब्लीचिंग पाउडर डालकर 70 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किए हुए पानी में धोएं. साथ ही मोबाइल, लैपटॉप, घड़ी ,चश्मा आदि को भी सैनिटाइज करें. घर में उन्हें एक कमरे में 14 दिन तक पृथक वास में रहने की कड़ी हिदायत दी जाती है. उन्होंने बताया कि घर पर रहने के दौरान भी उन्हें अकेले कमरे में रहना पड़ेगा,खाना डिस्पोजल बर्तनों में खाना पड़ेगा, हमेशा मास्क पहने रहना होगा, पहने हुये कपड़ों को अलग रखना होगा, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा. डा हिमांशु बताते है कि केजीएमयू का रेजीडेंट डाक्टर तौसीफ कोरोना वायरस के संक्रमण में आया था तो उस समय वह उनकी टीम में था.

इसलिये वह स्वंय 14 दिन के पृथक वास में चले गये थे और अपने ही घर में खुद को अलग थलग कर लिया था तथा अपने सारे काम स्वंय कर रहे थे. इसी तरह केजीएमसी के पृथक वार्ड में काम करने वाले सभी कर्मचारी यहां अपनी एक सप्ताह की डयूटी करने के बाद 14 दिन पृथक वास में बिताते है तब वह अपने घर जाते है और दोबारा डयूटी पर आते है.