राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच अधिकारों ओर सीमाओं पर चर्चा करने की जरूरत है. सभापति ने यह बात तब कही जब शून्यकाल के दौरान भाजपा के अशोक बाजपेयी ने उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के चयन के लिए अखिल भारतीय परीक्षा का आयोजन किए जाने की मांग की.
बाजपेयी ने कहा कि भारत के संविधान में कोलेजियम शब्द का जिक्र नहीं है, हालांकि कोलेजियम व्यवस्था के तहत ही वर्तमान में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं उनका स्थानांतरण होता है.
भाजपा सदस्य ने कहा कि हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि नियुक्तियां गुणवत्ता के आधार पर नहीं की जा रही हैं.
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उन्होंने सुझाव दिया कि उच्च न्यायपालिका में योग्य प्रतिभागियों का चयन सुनिश्चित किए जाने के लिए केंद्रीय लोक सेवा आयोग के माध्यम से अखिल भारतीय परीक्षा ली जानी चाहिए.
विभिन्न दलों के सदस्यों ने बाजपेयी के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया.
इस पर सभापति नायडू ने कहा कि सदस्यों की एक राय को देखते हुए हमें 'लोकतंत्र के तीनों स्तंभों न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच अधिकारों ओर सीमाओं पर चर्चा करने की जरूरत है.’
HIGHLIGHTS
- राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों का जिक्र किया
- नायडू ने कहा, लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को लेकर होनी चाहिए चर्चा
- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के अधिकारों पर चर्चा