दक्षिण भारत में हिंदी के खिलाफ उठती आवाज के बीच केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है और इसके बिना भारत का विकास असंभव है। उन्होंने अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव पर कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
वहीं कांग्रेस ने कहा है कि इसे थोपा नहीं जा सकता है। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा कि हिंदी को किसी पर थोपा न जाए।
उन्होंने फेसबुक पर लिखा, 'हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है। यह भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और इसे जानना उपयोगी है। लेकिन हिंदी किसी पर न थोपी जानी चाहिए और न ही थोपी जा सकती है।'
नायडू ने कहा था, 'हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और भारत के लिए हिंदी के बिना प्रगति करना असंभव है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर कोई अंग्रेजी को प्राथमिकता देता है। मैं अंग्रेजों के खिलाफ हूं उनकी भाषा के खिलाफ नहीं हूं। हमें सभी भाषा सीखनी चाहिए। लेकिन अंग्रेजी सीखना हमारी मानसिकता बन चुकी है, जो गलत है इसे बदलना होगा क्योंकि यह राष्ट्र हित के खिलाफ है।'
उन्होंने कहा कि लोगों के लिए उनकी मातृ भाषाएं सीखना जरूरी हो गया है क्योंकि अंग्रेजी माध्यम का प्रभुत्व हमारी सांस्कृतिक विरासत पर हावी हो चुकी है।
नायडू अहमदाबाद के साबरमती गांधी आश्रम में महात्मा गांधी के जीवन के 100 अलग-अलग प्रसंगो पर बनी पुस्तक का लोकार्पण करने पहुंचे थे। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'चूंकि देश की अधिकांश आबादी हिंदी भाषी है, इसलिए हिंदी सीखना जरूरी है, लेकिन उससे पहले हमें अपनी मतृभाषा सीखने की जरूरत है।'
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आपको बता दें की बैंगलुरु मेट्रो के साइन-बोर्ड में हिंदी के इस्तेमाल पर ताजा विवाद शुरू हुआ है। जनता दल (सेक्युलर) ने हिंदी के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान किया है। वहीं तमिलनाडु में भी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने हिंदी के विरोध में आवाज उठाई है।
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Source : News Nation Bureau