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वीर सावरकर जन्मदिन विशेष: खाना-पीना छोड़ वीर सावरकर ने चुनी थी इच्छामृत्यु

वीर सावरकर की मृत्यु 28 फरवरी 1966 को हुई. इससे दो साल पहले 1964 में 'आत्महत्या या आत्मसमर्पण' शीर्षक से एक लेख लिखा था. उनका कहना था कि आत्महत्या और आत्म समर्पण में एक अहम अंतर होता है.

Updated on: 28 May 2020, 07:33 AM

नई दिल्ली:

भारत स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले वीर सावरकर ने उनको जिंदा रखने वाली सारी दवाएं छोड़ दी थी और खाना-पीना थोड़ उपवास रखना शुरू कर दिया था. कहा जाता है ऐसा कर उन्होंने इच्छा मृत्यु चुनी थी. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायक कहे जाने वाले वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ. वह एक लेखक और इतिहासकार थे. जातिप्रथा के खिलाफ लड़ने वाले वीर सावरकर की आज जयंती है. स्वतंत्र भारत में उन्हें इच्छामृत्यु का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता. उन्होंने अपने आखिरी समय में उपवास रख इच्छा मृत्यु को चुना.

वीर सावरकर की मृत्यु 28 फरवरी 1966 को हुई. इससे दो साल पहले 1964 में 'आत्महत्या या आत्मसमर्पण' शीर्षक से एक लेख लिखा था. उनका कहना था कि आत्महत्या और आत्म समर्पण में एक अहम अंतर होता है.

वीर सावरकर का कहना था कि जब व्यक्ति निराश होता है तो आत्महत्या के साथ अपना जीवन खत्म कर देता है लेकिन वहीं जब किसी व्यक्ति के जीवन का मकसद पूरा हो जाए और फिर उसके शरीर में इतनी जान ही न बचें की वो जी सके तो तब जीवन का अंत करने को आत्मसमर्पण कहा जाना चाहिए.

कहा जाता है कि वीर सावरकर ने एक फरवरी 1966 से 28 फरवरी तक वो सारी चीजें छोड़ दी थी जो उन्हें जिंदा रख सकती थी. इसमें दवा खाना-पानी सब शामिल था.