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हिदुत्व और बोधिसत्व का धार्मिक व सांस्कृतिक समागम केंद्र बना पंचम धाम कार्यक्रम

हिदुत्व और बोधिसत्व का धार्मिक व सांस्कृतिक समागम केंद्र बना पंचम धाम कार्यक्रम

Updated on: 13 Aug 2021, 10:15 AM

नई दिल्ली:

श्रावण मास के पवित्र महीने में पंचम धाम द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा से वैश्विक जगत से आत्मसात कराने के लिए महात्मा बुद्ध और महा शिव संगीत कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी में किया गया।

कार्यक्रम में हिन्दु और बौद्ध संस्कृति का समागन देखने को मिला। इस दौरान बौद्ध धर्मावलम्बियों ने अग्नि के सामने हवन किया और पूरे रीति रिवाज से पूजा अर्चना भी की तथा प्रकांड पंडितों ने वैदिक रिति रिवाज से पूजा पाठ सम्पन्न करवाई । कार्यक्रम के आयोजन से हिन्दु और बौद्ध धर्मावलम्बियों के एक मंच पर आने से न केवल पंचम धाम के जरिए पूरी दुनिया में विश्व शान्ति का संदेश जाएगा बल्कि भारत से बाहर भारतीय सनातन परंपराओं का बौद्धजनों के सहयोग से विस्तार भी होगा।

देश की सदियों पुरानी सनातन संस्कृति को भारत से बाहर विस्तारित करने के लिए पंचम धाम की कल्पना 2017 में की गयी थी ताकि भारतीय मूल्यों और सनातन परंपराओं को वैश्विक विस्तार हो। भारतीय धर्म और संस्कृति में चार धाम - बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम पहले से है। लेकिन भारत से बाहर अब दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में पांचवां धाम बन रहा है। इसके लिए मंदिर का काम पहले चल रहा है।

कार्यक्रम के आयोजन आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन से जहां बौद्ध और हिन्दु संस्कृति के समान विचारों का वैश्विक विस्तार होगा वहीं विश्व शान्ति के प्रयासों को सांस्कृतिक संबधों के जरिए प्रगाढ़ता मिलेगी।

इंद्रेश कुमार ने कहा, पांचवां धाम सनातन धर्म की सहिष्णुता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक होगा जो दक्षिण पूर्वी एशिया में सनातन हिंदू संस्कृति और धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

ट्रष्ट्री, राज्य सभा सांसद तथा कार्यक्रम के मेजबान गोपाल नारायण सिंह ने कहा, ऐसी भव्य व अलौकिक हवन पूजा से दुनिया के अन्य धर्माधिकारियों को एक मंच पर आकर जन हित में साझा संकल्पनाओं को आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी।

कार्यक्रम के महत्वपूर्ण सूत्रधार व पंचमधाम के महासचिव शैलेष वत्स ने कहा, कंबोडिया अखंड भारत की सनातन परंपराओं का पौराणिक वाहक रहा है। लेकिन बदलते वक्त के साथ सांस्कृतिक विरासत से जु़डी जो चीजें पीछे छूट गयी उनको हम फिर से संकलित कर संयोगित करने का काम कर रहे है। इसमें सभी के सहयोग की अपेक्षा है ताकि जो उद्देश्य लेकर हम चल रहे हैं उसे पूरा करने में हर सनातन प्रेमी की आहूति लगे।

कार्यक्रम में एक दर्जन केन्द्रीय मंत्रियों सहित तकरीबन 60 से अधिक सांसदों ने भाग लिया । इसके अलावा आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे सहित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव ड़ॉ सचिदानंद जोशी और भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक संजय द्विवेदी सहित कई शख्शियतें मौजूद थी।

पंचमधाम के आयोजन के दौरान दर्शकों को मशहूर गायक अनुप जलोटा सहित अन्य गायक कलाकारों के धार्मिक गीतों की सांस्कृतिक संध्या का लुत्फ उठाने का अवसर भी मिला।

गौरतलब है कि कंबोडिया में पांच सौ करोड़ रुपये से पांचवे धाम का निर्माण हो रहा है। पंचमधाम परिषर में भगवान शिव की 180 फुट ऊंची मूर्ति लगेगी। भगवान गणेश और बुद्ध की भी मूर्तियां भी लगेंगी। यह पांचवां धाम कंबोडिया के अंकोरवाट स्थित विश्व के सबसे बड़े विष्णु मंदिर से करीब 30 किलोमीटर दूर बन रहा है। धाम का निर्माण पूरा होने के बाद यह दुनिया में आकर्षण का न केवल महत्वपूर्ण केंद्र होगा बल्कि कंबोडिया में सनातन परंपरा का विश्व प्रसिद्द धारमिक पयर्टन केन्द्र भी बनेगा।

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