2014 के बाद वाराणसी का कायाकल्प, 3 साल में 25 हजार गरीबों को मिला आवास
हजारों सालों के बाद एक बार फिर से बनारस के दिन लौटे हैं. प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र बनने के बाद बनारस की तो काया ही कल्प हो गई है. आइए आपको बताते हैं पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के बारे में
highlights
- वाराणसी में 2014 के बाद दिखी विकास की रफ्तार
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है वाराणसी
- 3 सालों में मिला वाराणसी के 25 हजार गरीबों को आवास
वाराणसी:
अगर पिछले 6 साल पहले के बनारस की बात की जाए तो मन में एक तंग और छोटी गलियों में भीड़ की कल्पना मन में स्वतः ही आ जाती थी क्योंकि हमने अब से 6-7 सालों पहले ऐसा ही बनारस देखा था. साल 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद और बनारस संसदीय क्षेत्र से जीत के बाद बनारस की तो काया ही कल्प हो गई है. हम आपको बता दें इस शहर के बारे में कहा जाता है कि इस शहर को भगवान शंकर ने बसाया था लेकिन हजारों सालों के बाद एक बार फिर से बनारस के दिन लौटे हैं. प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र बनने के बाद बनारस की तो काया ही कल्प हो गई है. आइए आपको बताते हैं पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के बारे में
बनारस वासियों की जीवनशैली में दिखा बड़ा परिवर्तन
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में अब यहां रहने वालों के जीवन स्तर में भी लगातार बदलाव आ रहा है. हम साफतौर पर देख सकते हैं कि कैसे बनारस के स्थानीय लोगों को शहर के विकास का फायदा मिल रहा है. आपको बता दें कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आध्यात्मिक नगरी में कई स्तरों पर काम हो रहा है. पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र बनने के बाद बनारस की सड़कें पहले की तुलना में अब ज्यादा बेहतर हुई हैं और घाटों की स्थिति भी पहले के मुक़ाबले बेहतर दिखाई देती है.
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वाराणसी में दिखी स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की बयार
स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के कारण वाराणसी में बदलाव की बयार बह रही है. नगर निगम मुख्यालय के बगल में भव्य कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष बन रहा है. बदहाल सरकारी स्कूल स्मार्ट हो रहे हैं. मालवीय मार्केट, कनॉट प्लेस की तरह आकार ले रहा है. गंगा किनारे की गलियों में मूलभूत सुविधाएं विश्व स्तरीय हो रही हैं. फ्लाइओवर, आरओबी, फोरलेन सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. इससे निश्चित तौर पर शहर तेज गति से बदल रहा है. आने वाले दिनों में रैंकिंग और बेहतर होगी.
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आइए आपको बताते हैं कि वाराणसी को बेहतरीन शहर बनाने के लिए किन बिन्दुओं पर हुआ सर्वेक्षण
- स्वास्थ्य सेवाओं की कैसी है व्यवस्था
- आवासीय सुविधाएं कैसी हैं
- हवा की शुद्धता
- शहर में यात्रा करना कितना सुरक्षित और आसान है
- शहर की साफ सफाई की स्थिति से कितने संतुष्ट हैं
- शहर रहने के लिए कितना सुगम है
- शहर रहने के लिए कितना सुरक्षित व महफूज है
- शिक्षा की गुणवत्ता
- महिलाओं के लिए सार्वजनिक जगह कितनी सुरक्षित है
- आपातकालीन सेवाएं कितनी अच्छी है
- आपके पास पड़ोस से कूड़ा उठाने की व्यवस्था कितनी अच्छी है
- पीने के पानी की स्थिति
- जलभराव की समस्या
- बैंकिंग, बीमा-एटीएम
- मनोरंजन की सुविधाओं से कितने संतुष्ट हैं
- बिजली आपूर्ति
तीन सालों में वाराणसी में बढ़े 25000 मकान
साल 2018 में बनारस में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले कुल मकानों की संख्या एक लाख 80 हजार थी. आपको बता दें कि ये मकान उन लोगों के थे जिनके पीले कार्ड जारी हुए थे. वहीं ये संख्या अब बढ़कर नगर निगम के रिकॉर्ड में 2.05 लाख तक जा पहुंची है. 3 साल के भीतर 25000 मकान बढ़े हैं. आप इस बात से इसका अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से अचानक वाराणसी में रहने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. खासकर बिहार से लोग यहां आकर बसे हैं. पूर्वांचल के कई जिलों से लोग यहां आकर बस रहे हैं. यहां की सड़क, जल और वायु मार्ग की सुविधाएं बेहतर हुई हैं.
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