भारतीय इतिहास में बड़ा फैसला लेते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा नदी को 'लिविंग इन्टिटि' यानि ज़िंदा ईकाई का दर्जा दिया है। उत्तराखंड के उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को कड़ी चेतावनी दी है।
हाईकोर्ट ने गंगा की साफ-सफाई और उसकी स्वच्छता को लेकर सरकार की ढुलमुल कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए 8 हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। हाई कोर्ट ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए 8 हफ्ते के अंदर गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने का निर्देश दिया है।
वरिष्ठ न्यायाधीश संजीव शर्मा और न्यायमूर्ति अलोक सिंह की खण्डपीठ ने साफ और कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार गंगा नदी को स्वच्छ और अविरल बनाने में असफल होती है तो न्यायालय की असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार अनुच्छेद 365 के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असफल होने की स्थिति में भंग करने का अधिकार रखती है।
कड़े शब्दों में सरकार को आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, महानिदेशक और महाधिवक्ता को किसी भी वाद को स्वतंत्र रूप से न्यायालय में लाने के लिए अधिकृत किया है। वहीं, न्यायालय ने देहरादून के जिलाधिकारी को ढकरानी की शक्ति नहर से 72 घंटे में अतिक्रमण हटाने और असफल होने पर बर्खास्त करने के भी आदेश दिए हैं।
न्यायालय ने केंद्र सरकार को 8 सप्ताह में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाने और मुख्य सचिव, महानिदेशक और महाधिवक्ता को किसी भी वाद को स्वतंत्र रूप से न्यायालय में लाने के लिए अधिकृत किया है।
न्यायालय ने उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे के मामले में दोनों सरकारों को एक साथ बैठकर 8 सप्ताह में बटवारा करने को कहा है। याची के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया न्यूजीलैंड में भी वैनक्वाइ नदी को हाल ही में जीवित मानव के अधिकार दिए गए हैं।
न्यायालय ने यह फैसला सन 2014 में मो.सलीम द्वारा ढकरानी की शक्ति नहर से अतिक्रमण हटाने सम्बन्धी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया है।
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Source : News Nation Bureau