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केदारनाथ में एक बार फिर सुनाई देने लगी है खतरे की घंटी, दोबार जिंदा हो रही तबाही वाली 'झील'

साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई आपदा का सबसे बड़ा कारण वहां मौजूद चोराबाड़ी झील को बताया गया था, जो अब एक बार फिर पुर्नजीवित हो रही है. इस मामले पर वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि चोराबाड़ी झील के फिर से विकसित होने की सूचना है, जिसके बाद हमने एक टीम को झील की जांच कराने के लिए रवाना कर दिया है.

Updated on: 24 Jun 2019, 04:56 PM

नई दिल्ली:

उत्तराखंड के केदारनाथ में साल 2013 में आई आपदा को आज भी लोग नहीं भूला पाए, इसका दर्द तीर्थयात्रियों से लेकर वहां के निवासियों के जेहन में अब तक जिंदा है. इस आपदा ने पूरे केदारनाथ को तहस-नहस कर दिया था और अब एक बार फिर इस पर खतरे की आहट सुनाई देने लगी है. दरअसल, साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई आपदा का सबसे बड़ा कारण वहां मौजूद चोराबाड़ी झील को बताया गया था, जो अब एक बार फिर पुर्नजीवित हो रही है. इस मामले पर वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि चोराबाड़ी झील के फिर से विकसित होने की सूचना है, जिसके बाद हमने एक टीम को झील की जांच कराने के लिए रवाना कर दिया है.

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इसके साथ ही वाडिया इस्टट्यूट के वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि नई झील बनी है वो चोराबाड़ी झील नहीं है. जिस झील के बनने का हमें पता चला है वो केदारनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर ऊपर है जबकि चोराबाड़ी झील केदारघाटी यानि की मंदिर से 2 किलोमीटर ऊपर थी.

वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भू-वैज्ञानिक डॉ. डी.पी डोभाल के मुताबिक, कुछ दिन पहले रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने उन्हें एक जानकारी दी थी जिसके तहत कुछ लोग केदारनाथ से करीब 5 किलोमीटर ऊपर गए थे, जहां ग्लेशियर के बीच में एक झील बने होने की बात बताई गई है. लेकिन जो झील बताई जा रही है, वह चोराबाड़ी झील नहीं है.

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वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि केदारनाथ मंदिर से भला नई झील 5 किलोमीटर ऊपर हो इससे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि झील चाहे 2 किलोमीटर ऊपर बनी हो या 5 किलोमीटर खतरा उतना ही बड़ा है जितना साल 2013 में था. इस खतरे को देखते हुए अभी से सावधानी बरतनी जरूरी है.

वहीं इस नई झील के बारे में सबसे पहले केदारनाथ धाम में स्वास्थ्य कैम्प चला रहे डॉक्टरों को पता चला था. उन्होंने दावा किया था कि केदारनाथ धाम से करीब 5 किलोमीटर ऊपर ग्लेशियर में एक झील बनी है जिसे ये डॉक्टर्स चोराबाड़ी झील होने का दावा कर रहे थे.