इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने का रास्ता साफ, योगी कैबिनेट ने लगाई मुहर
वहीं मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में नाम बदलकर प्रयागराज करने के खिलाफ दायर याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi Sarkar) ने मंगलवार को फैजाबाद (Faizabad) और इलाहाबाद (Allahabad) का नाम बदलने के प्रस्ताव को आखिरी रूप दे दिया. लखनऊ में हुई कैबिनेट बैठक में योगी सरकार के मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी, जिसके बाद फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या (Ayodhya) और इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज (PrayagRaj) करने का रास्ता साफ हो गया है. शहरों का नाम बदलने के इस प्रस्ताव को भी आधिकारिक रूप दे दिया गया है.
वहीं मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में नाम बदलकर प्रयागराज करने के खिलाफ दायर याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि याचिककर्ता को अदालत में चुनौती देने से पहले इस मामले को राज्य सरकार के सामने उठाना चाहिए था. राज्य सरकार इस मामले में जो भी फैसला लेती, उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती थी.
अदालत ने इसी आधार पर पीआईएल को खारिज कर दिया है. अदालत के इस फैसले से योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है.
और पढ़ें: योगी सरकार के मंत्री बोले, शहरों के नाम बदलने से पहले अपने मुस्लिम नेताओं के नाम बदले बीजेपी
याचिकाकर्ता ने अर्जी में प्रयागराज अर्द्धकुंभ का नाम बदलकर कुंभ किये जाने के फैसले को भी चुनौती दी थी. अदालत ने उस मामले में भी याचिकाकर्ता को पहले राज्य सरकार के पास जाने को कहा है. यह अर्जी हाईकोर्ट की ही महिला वकील सुनीता शर्मा की तरफ से दाखिल की गई थी.
मामले की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस चंद्रधारी सिंह की डिवीजन बेंच में हुई. इस पीआईएल में यूपी की योगी सरकार की ओर से इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने और अर्द्धकुंभ को कुंभ बताए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
अर्जी में कहा गया था कि इलाहाबाद का नाम बदले जाने के मामले में नियमों की अनदेखी की गई है और यूपी सरकार को ऐसा करने का अधिकार भी नहीं है. इलाहाबाद नाम समूची दुनिया में मशहूर है और इस शहर की पहचान इसी नाम से है. इसके अलावा अर्द्धकुंभ का नाम बदले जाने को शास्त्रों के खिलाफ बताया गया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह इस मामले को अब राज्य सरकार के पास ले जाएंगे और अगर वहां से इंसाफ नहीं मिला तो मामले को फिर से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे.
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