उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में जुलाई में कराए गए पोस्ट कोविड स्नैप पोल से पता चला है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका से 45 फीसदी लोग बहुत अधिक संतुष्ट हैं, वहीं 28 प्रतिशत लोग कुछ हद तक संतुष्ट और 20 फीसदी लोग असंतुष्ट रहे।
एक प्रमुख कम्युनिकेशन एजेंसी की ओर से कराए गए सर्वे के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान और उसके बाद तेजी से उत्तर प्रदेश के हालात बदले। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मतदान का आधार के सवाल पर सबसे ज्यादा 22 फीसदी लोगों ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के चेहरे पर वोट देंगे, वहीं 12 फीसदी ने सरकार के कामकाज के आधार पर और 10 फीसदी ने पार्टी के आधार पर वोट देने की बात कही। कामकाज के आधार पर 46 फीसदी ने योगी आदित्यनाथ को बेहतर मुख्यमंत्री बताया, वहीं 22 फीसदी लोगों ने अखिलेश यादव और 28 फीसदी ने मायावती का नाम लिया।
जुलाई के पहले हफ्ते में चुनाव की स्थिति में भाजपा की स्थिति को लेकर हुए सर्वे में पता चला कि तब 278 से 288 सीटें मिलतीं और 43 फीसदी वोट प्रतिशत हासिल होता। ब्राह्मण मतदाताओं को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता के बीच इस सर्वे में परिणाम आया है कि अब भी 64 फीसदी ब्राह्मण भाजपा के साथ हैं। ब्राह्मणों की दूसरी पसंदीदा पार्टी बसपा और फिर कांग्रेस है। इस दौड़ में सपा सबसे पीछे है।
दलित वोटरों के बीच बसपा 45 प्रतिशत समर्थन के साथ सबसे आगे है, दूसरे नंबर पर 43 फीसदी दलित वोटर भाजपा के साथ जा रहे हैं। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर 52 फीसदी लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा करते हैं, जबकि 34 फीसदी लोग मायावती पर। अखिलेश यादव का रिकॉर्ड 12 फीसदी के साथ सबसे कम है।
मैट्रिज कम्युनिकेशन नामक एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के कुल 37500 लोगों के साक्षात्कार के आधार पर यह सर्वे किया। उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के लोगों से एजेंसी ने बात की और हर जिले से कम से कम 500 सैंपल लिए गए।
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Source : IANS