logo-image

रूरल टूरिज्म का गेटवे साबित हो सकता है यूपी का शुगर बेल्ट

रूरल टूरिज्म का गेटवे साबित हो सकता है यूपी का शुगर बेल्ट

Updated on: 03 May 2022, 01:00 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश सरकार का इरादा अगर परवान चढ़ता है तो शुगर बेल्ट रूरल एवं विलेज टूरिज्म की संभावनाओं को नई ऊंचाइयां दे सकता है। खासकर गन्ना उत्पादन में अग्रिम पश्चिमी यूपी और गन्ना को ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) घोषित किए गए जिलों के लिए शुगर टूरिज्म पर्यटन की संभावनाओं का नया गेटवे साबित हो सकता है।

यही नहीं, मुख्यमंत्री ने विभाग के अधिकारियों को अगले 100 दिनों के भीतर 8,000 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं और छह महीने के लिए 12,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देशानुसार विभाग अगले पांच वर्षों में गन्ने की उत्पादकता को वर्तमान 81.5 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 84 टन प्रति हेक्टेयर करने के लिए भी प्रयासरत है।

मालूम हो कि गुड़ को सरकार ने अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजना ओडीओपी यानी एक जिला, एक उत्पाद में शामिल किया है। इस क्रम में गुड़ को मुजफ्फरनगर और अयोध्या का ओडीओपी घोषित किया गया है। गन्ने के सह-उत्पादों के जरिए गन्ना उत्पादक किसानों की जिंदगी खुशहाल बनाने के लिए प्रदेश सरकार मुजफ्फरनगर और लखनऊ में गुड़ महोत्सव भी आयोजित कर चुकी है।

उत्तर प्रदेश सरकार का फोकस रूरल एंड विलेज टूरिजम पर है। ऐसे में शुगर टूरिज्म इस दिशा में नायाब पहल साबित हो सकती है। कुछ दिन पहले मंत्रिपरिषद के सामने कृषि उत्पादन से जुड़े सात विभागों की प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने इसका जिक्र भी किया था। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वह शुगर टूरिज्म के लिए कार्ययोजना को तैयार करें। इसके लिए गन्ने से बनने वाले सह-उत्पादों को माध्यम बनाया जाए। गन्ना विकास संस्थान में शुगर म्यूजियम की स्थापना भी शुगर पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ा सकता है।

उल्लेखनीय है कि गन्ने से गुड़, सिरका, अलग-अलग फ्लेवर की चाकलेट, कैंडी, ताजा और अधिक समय तक चलने वाला जूस इत्यादि बनाए जा सकते हैं। मुजफ्फरनगर के किसान तो गन्ने के रस से 100 से अधिक तरह के उत्पाद बनाते हैं। इनमें से कुछ उत्पाद ऐसे हैं जिनकी देश-विदेश में इतनी मांग है कि वह आपूर्ति नहीं कर पाते। गन्ने के सह-उत्पादों के जरिए शुगर टूरिज्म की बहुत संभानाए हैं, क्योंकि ये उत्पाद सेहत के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। चीनी को छोड़ दें तो गन्ने का सबसे प्रमुख सह-उत्पाद गुड़ है। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। प्रसंस्करण के जरिए इसे और पौष्टिक एवं पसंद के अनुरूप बनाया जा सकता है।

गन्ना प्रदेश की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है। प्रदेश के करीब 65 लाख किसान गन्ने की खेती से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपने पहले ही कार्यकाल से प्रयास रहा है कि गन्ने के जरिए किसानों के जीवन में मिठास घुले। इसके लिए सरकार ने 14 दिन के तय समय में भुगतान की पारदर्शी व्यवस्था कायम की। नई चीनी मिलें लगवाईं, कुछ मिलों का क्षमता विस्तार भी करवाया गया। योगी-2 में भी यह सिलसिला जारी रहेगा, जिसकी पूरी कार्ययोजना सरकार ने तैयार कर ली है। किसान गन्ने की पेराई के लिए सिर्फ मिलों के भरोसे न रहें, इसके लिए खांडसारी इकाइयों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। नतीजतन, अभी तक योगी सरकार के कार्यकाल में किसानों को तकरीबन 1.71 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है, जो कि बसपा सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए भुगतान का तीन गुना है। वहीं, सपा सरकार के समय किए गए भुगतान का डेढ़ गुना है।

अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि पश्चिम यूपी का मुजफ्फरनगर अपने गुड़ उत्पाद के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा अयोध्या का ओडीओपी उत्पाद भी गुड़ है। शुगर टूरिज्म के लिए यहां पर संभावनाएं बहुत हैं। इसी कारण सरकार ने गुड़ महोत्सव का अयोजन करवाया था। आने वाले समय यहां पर बहुत सारी संभावनाएं हैं।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.