श्रीरामचरितमानस को लेकर सपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान पर यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद ने निशाना और कहा कि अगर अखिलेश यादव उनके बयान से असहमत हैं तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएं।
मंगलवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सपा मुस्लिम तुष्टीकरण की घटिया राजनीति कर रही है, विशेष रूप से हिंदू भावनाओं को आहत करने का बयान दिलाने का काम कर रही है।
उन्होंने सपा नेता स्वामी प्रसाद का बिना नाम लिए कहा कि कई घाटों का पानी पीकर सपा में गये एक नये नवेले नेता, जिनकी पार्टी में कोई हैसियत भी नहीं है, उनका श्रीरामचरितमानस पर बयान देना, सपा के ही कुछ नेताओं से इसका विरोध कराना और अखिलेश यादव का मौन रहना सवाल खड़ा करता है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा जिनके आदशरें पर चलने का दंभ भरती है ऐसे राममनोहर राममनोहर लोहिया ने कहा था कि भगवान श्रीराम इस देश के कर्म, श्रीकृष्ण इस देश के हृदय और शिव इस देश के मस्तिष्क हैं और वे (यादव) अगर लोहिया को समाजवादी मानते हैं तो फिर ऐसे बयान का विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं।
केशव मौर्य ने आरोप लगाया कि सपा की सरकार ने अयोध्या में राम भक्तों पर गोली चलवाकर सरयू नदी को लाल कर दिया था, जिससे इनका असली चरित्र उजागर हुआ था।
केशव प्रसाद मौर्य ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा अब तक इस विषय पर कोई बयान न देने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वे (अखिलेश यादव) यह कहते थकते नहीं कि हम राम और कृष्ण के वंशज हैं, लेकिन उनकी चुप्पी उप्र के माहौल को खराब करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि बिहार में जो कार्य लालू यादव की पार्टी के नेता कर रहे हैं, वही अखिलेश यादव की पार्टी के नेता यहां कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की कड़ी निंदा करते हुए केशव ने कहा कि अखिलेश यादव उप्र की 25 करोड़ जनता को भ्रमित करने की बजाय मानस की चौपाइयों पर जो सवाल उठाए गए हैं, उस पर अपना रुख स्पष्ट करें।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की भाषा से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। शिवपाल यादव को लेकर पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा कि शिवपाल को श्रीरामचरितमानस पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है, क्या वह अयोध्या में राम भक्तों पर गोली चलवाना भूल गये हैं।
गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को कहा था, रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है, यह अधर्म है!
स्वामी मौर्य ने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न् के आधार पर किसी का अपमान करते हैं। श्रीरामचरितमानस पर स्वामी मौर्य का यह बयान आने के बाद सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव और विधानसभा में मुख्य सचेतक मनोज कुमार पांडेय समेत कई नेताओं ने असहमति जताई है।
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Source : IANS