तो क्या ईरान से तेल आयात बंद कर देगा भारत, निकी हेली ने ईरान से संबंधों को खत्म करने पर बनाया दवाब
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने भारत को ईरान के साथ संबंधों को लेकर चेतावनी दी है। निकी हेली ने कहा है कि भारत को फिर से सोचना चाहिए कि ईरान के साथ व्यवसाय करें या नहीं।
नई दिल्ली:
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने भारत को ईरान के साथ संबंध रखने को लेकर चेतावनी दी है। निकी हेली ने कहा है कि भारत को फिर से सोचना चाहिए कि ईरान के साथ व्यवसाय करें या नहीं।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत बनने के बाद अपने पहले दौरे पर भारत आईं निकी हेली ने गुरुवार को कहा कि ईरान 'अगला उत्तर कोरिया' है।
बता दें कि निकी हेली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका भारत और अन्य देशों को 4 नवंबर तक ईरान से तेल आयात पूरी तरह बंद करने को कह चुका है।
निकी हेली ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ईरान एक 'धार्मिक तानाशाही' देश है जो अपने लोगों को गाली देता है, आतंकवाद को फंड करता है और मध्य एशिया के चारों तरफ उन्माद फैलाता है।
भारतीय मूल की 46 वर्षीय हेली ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भारत का ईरान के साथ व्यवसाय को लेकर बातचीत कर चुकी हैं।
उन्होंने कहा, 'हमारी बातचीत में इन मुद्दों को रखना होगा क्योंकि मैं सोचती हूं कि भारत भी ईरान के खतरों को जानता है। हम ईरान के साथ संचालन और क्रियान्वयन को समझते हैं लेकिन हमें शांति और सुरक्षा को हमेशा प्राथमिकता के तौर पर रखना होगा।'
निकी हेली ने कहा, 'हम सभी को सोचना पड़ेगा कि हम किसके साथ व्यवसाय को चुन रहे हैं। मेरा मानना है कि दोस्त भारत को भी निर्णय करना चाहिए क्या ऐसे देश के साथ व्यवसाय करना चाहिए। इसलिए मैंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत की,यह एक संरचनात्मक बातचीत थी।'
उन्होंने कहा कि भारत के भविष्य के लिए, संसाधनों के भविष्य के लिए हम भारत को कहना चाहेंगे कि उसे ईरान के साथ संबंधों के बारे में सोचना चाहिए।
बता दें कि अमेरिका वर्तमान में ईरान के साथ व्यापार में शामिल किसी देश को छूट नहीं दे रहा है। ऐसे में ईरान के साथ नवंबर तक तेल आयात बंद नहीं करने पर वह भारत और अन्य देशों पर सख्ती बरत सकता है।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आठ मई को ऐतिहासिक ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के फैसले के बाद अमेरिका ने ईरान से हटाए गए प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का संकल्प लिया।
हालांकि अमेरिका को छोड़कर बाकी पांच देशों ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन और जर्मनी ने समझौते से जुड़ने रहने की प्रतिबद्धता जताई थी।
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