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पोखरण में फील्ड ट्रायल के दौरान अमेरिकी होवित्जर तोप का बैरल फटा, चीन की सीमा पर होनी है तैनाती

राजस्थान के पोखरण में फील्ड ट्रायल के दौरान अमेरिका से खरीदे गए लंबी दूरी के अल्ट्रा लाइट होवित्जर गन के बैरल (नली) के परखच्चे उड़ गए।

Updated on: 12 Sep 2017, 09:50 PM

highlights

  • राजस्थान के पोखरण में फील्ड ट्रायल के दौरान अमेरिका से खरीदे गए लंबी दूरी के अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप की नली के परखच्चे उड़े
  • अल्ट्रा लाइट होवित्जर M-777 गन को अमेरिका से खरीदा गया है और इसकी कीमत 35 करोड़ रुपये है, इन्हें चीन की सीमा पर तैनात किया जाना है

नई दिल्ली:

राजस्थान के पोखरण में फील्ड ट्रायल के दौरान अमेरिका से खरीदे गए लंबी दूरी के अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप के बैरल (नली) के परखच्चे उड़ गए। सफल ट्रायल के बाद इन तोपों को चीन की सीमा पर तैनात किया जाना है।

अल्ट्रा लाइट होवित्जर M-777 तोप को अमेरिका से खरीदा गया है और इसकी कीमत 35 करोड़ रुपये है। सेना के सूत्रों के मुताबिक इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

मई में भारत को अमेरिका से दो अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप मिले थे। बोफोर्स घोटाले के करीब 30 साल बाद भारतीय सेना को यह तोप मिला है और इनमें से एक खराब निकला है।

अमेरिकी कंपनी बीएई की बनाई गई इस तोप से 2 सितंबर को राजस्थान के पोखरण में परीक्षण किया जा रहा था, तभी इसका बैरल फट गया। सूत्रों के मुताबिक, 'फायरिंग के दौरान बैरल के परखच्चे उड़ गए।' हालांकि इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ है।

बोफोर्स के 30 साल बाद मिले होवित्जर तोप का परीक्षण कर रही भारतीय सेना

सूत्रों के मुताबिक, 'तोप का बैरल पूरी तरह से खराब हो गया और जांच टीम इस घटना की जांच कर रही है।' भारत को अमेरिका से 145 ऐसे तोप मिलने हैं और कुछ नए तोप की खेप सितंबर 2018 में भारत पहुंचने वाली है।

सेना में इन तोपों को मार्च 2019 से शामिल किया जाना है और इसके बाद से 2021 के मध्य तक हर महीने पांच तोपों को सेना में शामिल किया जाना है। चीन और पाकिस्तान के साथ जुड़े विवाद को देखते हुए भारतीय सेना को इन तोपों की सख्त जरूरत है।

क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से ये तोप भारतीय सेना के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं। भारत ने इससे पहले आखिरी बार 1980 के मध्य में स्वीडेन की कंपनी बोफोर्स से होवित्जर की खरीदारी की थी। लेकिन डील में हुए घोटाले के खुलासे ने सेना के लिए जरूरी खरीदारी की पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार दिया।

भारत ने पिछले साल नवंबर में अमेरिका से 5,000 रुपये की डील की थी, जिसके तहत सरकार को 145 होवित्जर की सप्लाई की जानी थी।

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