वित्तीय मामलों के लिए बनी संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश होकर आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर उर्जित पटेल ने मंगलवार को कहा कि नोटबंदी का प्रभाव अस्थायी था, जबकि सरकार से साथ चल रही तनातनी के बीच आरबीआई की स्वायत्तता और रिजर्व से जुड़े सवालों के जवाब में अगले 10 से 15 दिनों का वक्त मांगा. उन्होंने सदस्यों से कहा कि अर्थव्यवस्था नोटबंदी के पहले के समय की तुलना में बेहतर हालत में है और नोटबंदी का दुष्प्रभाव अब धीरे-धीरे कम होता जा रहा है.
यह भी पढ़ें : पीएम मोदी ने कहा- कांग्रेस और TRS वंशवाद की राजनीति में करती है भरोसा
आरबीआई के गवर्नर की संसदीय समिति ने ऐसे समय पूछताछ के बुलाया है, जब शीर्ष बैंक की सरकार के साथ स्वायत्तता, आरबीआई के पास रखे रिजर्व और तरलता की चिंताओं को लेकर तनातनी चल रही है. सूत्रों ने बताया कि इन मुद्दों पर पूछे सवालों के जवाब में उन्होंने 10 से 15 दिन तक का वक्त मांगा.
पटेल मंगलवार को कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में 31 सदस्यीय समिति के सामने उपस्थित हुए ताकि नोटबंदी का प्रभाव, सरकारी बैंकों के फंसे हुए बड़े-बड़े कर्जें (एनपीए) और अर्थव्यवस्था की हालत के समेत अन्य मुद्दों पर जवाब दे सके.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि बैंकिंग नियामक केंद्रीय बैंकों द्वारा रखे गए रिजर्व के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय प्रचलन के हिसाब से विचार करेगा और उन विचारों को समिति से साझा करेगा. सरकार का मानना है कि आरबीआई के पास अतिरिक्त भंडार है जिसका उपयोग विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है.
पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ कोई तनातनी है. सूत्र ने कहा कि उन्होंने समिति के सदस्यों को वैश्विक व्यापार युद्ध के कारण मुद्रा युद्ध के खतरों की संभावना से अवगत कराया. इस समिति में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल है.
घरेलू अर्थव्यवस्था पर पटेल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर हो रही है और जीडीपी बढ़ने, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, कर्ज उठाव में 15 फीसदी की बढ़ोतरी, मुद्रास्फीति में गिरावट और खाद्य मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत से नीचे जैसे सकारात्मक संकेतों से पता लगता है कि अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है.
Source : News Nation Bureau