दिल्ली हाईकोर्ट से बाहुबली विधायक मुख़्तार अंसारी को झटका लगा हैं। हाईकोर्ट ने अंसारी को सीबीआई कोर्ट से मिली पेरोल के खिलाफ दायर इलेक्शन कमीशन की याचिका को मंजूर कर लिया हैं। यानि अब, हाल ही में बीएसपी में शामिल होने वाले विधायक मुख़्तार अंसारी अपने विधानसभा क्षेत्र मऊ में चुनाव प्रचार नही कर पाएंगे।
याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा, 'जेल से इलेक्शन लड़ने का अधिकार है, लेकिन प्रचार के लिए जेल से बाहर जाने का अधिकार नहीं है।'
हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों चुनाव आयोग, यूपी सरकार, मुख़्तार अंसारी और कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में शिकायतकर्ता की दलील पर विस्तार से सुनवाई करने के बाद अपना आदेश सुनाया हैं।
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चुनाव आयोग ने पेरोल का किया विरोध
चुनाव आयोग ने निचली अदालत से मिली पेरोल का ये कहते हुए विरोध किया था कि अगर मुख़्तार अंसारी को पेरोल मिलती हैं, तो वो साल 2005 में बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। जिससे इस केस का ट्रायल प्रभावित हो सकता हैं। वकील दयाकृष्णन ने दलील दी कि अगर अंसारी को पेरोल दी जाती हैं तो मऊ में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में बाधा पड़ सकती हैं। आयोग की ओर से कोर्ट में यहां तक कहा गया कि इस अदालत का जो भी फैसला फैसला होगा, वो भविष्य में इलेक्शन कमीशन की पावर को लेकर दूरगामी असर डालेगा।
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मुख़्तार अंसारी की दलील
मुख्तार अंसारी के वकील ने चुनाव आयोग की दलील का विरोध किया था ..अंसारी की ओर से पेश हुए वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट में दलील दी कि चुनाव आयोग का दावा ग़लत हैं। इस मामले में कोई भी गवाह मऊ विधानसभा से नही हैं, लिहाजा अंसारी को अपने विधानसभा क्षेत्र मऊ में प्रचार से रोके जाने का कोई आधार नही बनता..खुर्शीद की ओर से कोर्ट में कहा गया कि केवल अति विशेष हालातों में चुनाव आयोग अदालत का रुख कर सकता हैं। अंसारी,मऊ से रिकॉर्ड चार बार निर्वाचित हो चुके हैं और वो अदालत में ये अंडरटेकिंग देने को भी तैयार हैं कि वो किसी तरह से अदालत के आदेश का उल्लंघन नही करेंगे।
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निचली अदालत ने 16 फरवरी को मुख्तार अंसारी को कस्टडी पेरोल दी थी। पेरोल की मांग करते हुए अंसारी ने मांग की थी कि वो दिसम्बर 2005 से जेल में हैं और इससे पहले भी उसे चुनाव लड़ने के लिए पेरोल मिली थी। मुख़्तार अंसारी के खिलाफ हत्या, अपहरण जैसे संगीन मामलों समेत करीब 40 मुकदमे चल रहे हैं।
Source : Arvind Singh