यूपी विधानसभा चुनाव 2017: अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़े मुलायम सिंह यादव, सपा के चुनावी प्रचार से रह रहे हैं दूर

जिस पार्टी की नींव मुलायम सिंह यादव ने रखी थी, आज उसी पार्टी में उनको अलग-थलग कर दिया गया।

जिस पार्टी की नींव मुलायम सिंह यादव ने रखी थी, आज उसी पार्टी में उनको अलग-थलग कर दिया गया।

author-image
Aditi Singh
एडिट
New Update
यूपी विधानसभा चुनाव 2017: अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़े मुलायम सिंह यादव, सपा के चुनावी प्रचार से रह रहे हैं दूर

उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के भीतर की राजनीति में अभी भी सब ठीक नहीं है। जिस पार्टी की नींव मुलायम सिंह यादव ने रखी थी, आज उसी पार्टी में उनको अलग-थलग कर दिया गया। मुलायम सपा के स्टार प्रचारक तो है, मगर चुनावी मंच से गायब है। सपा मुखिया अखिलेश यादव भले ही कहते आ रहें हो कि उनके और नेताजी के बीच कोई मतभेद नहीं है। मगर अब तक दोनो एक साथ किसी मंच पर नजर नहीं आए।

Advertisment

विधानसभा के दो चरणों के मतदान पड़ गए और मुलायम ने अब तक केवल अपने भाई शिवपाल यादव के समर्थन में ही रैली की है। उन्होंने 11 फरवरी और 14 फरवरी को जसवंत नगर और इटावा में रैलियों को संबोधित किया था। अपने भाई के अलावा मुलायम ने अपनी दूसरी पत्नी के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी छोटी बहू अपर्णा यादव के लिए भी लखनऊ में 15 फरवरी को चुनावी जनसभा संबोधित की है। बता दें कि साल 2012 में इन चरण में शामिल कुल 140 सीटों में से सपा ने 58 सीटें जीती थी, इस दौरान सपा की इस जीत के पीछे मुलायम सिंह यादव की काफी अहम भूमिका थी।

इसे भी पढ़ें: फिर छलका मुलायम का दर्द, कहा कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया

सपा का गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी में भी मुलायम की प्रस्तावित रैलियां कैंसल हो गई। पार्टी के मुताबिक अपरिहार्य कारणों से मैनपुरी की रैलियों को कैंसल किया है, वहीं लोग दबी जुबान से ये कह रहे है कि इसका कारण पार्टी की अंदरूनी कलह है। सूत्रों की कहना है कि पारिवारिक कलह देखने में तो भले ही खत्म हो गई हो मगर मुलायम अपने बेटे अखिलेश के लिए प्रचार करने को तैयार नहीं है।

राजनीतिक गलियारो की बातें माने तो चाचा शिवपाल संग लड़ाई में अखिलेश भले ही जीत गए हो। मगर पिता मुलायम अभी भी अपने भाई शिवपाल के पक्ष में खड़े है। हालांकि अखिलेश ने भी अपनी सपा के पोस्टर से शिवपाल का चेहरा ही गायब कर दिया। इस बार सपा के चुनाव प्रचार के पोस्टर में केवल अखिलेश और मुलायम का ही चेहरा है।

इसे भी पढ़ें: मुलायम ने भाई शिवपाल के लिए किया प्रचार, बेटे अखिलेश का नहीं लिया नाम

यही कारण है कि चुनाव प्रचार की पूरी बागडोर अखिलेश ने अपने हाथों में ही संभाल रखी है। माना जा रहा है कि मुलायम ना तो खुद से प्रचार को तैयार है, ना ही पार्टी को ओर से कोई रैली प्रस्तावित है और पारिवारिक कलह के चलते उम्मीदवार भी उन्हें न्यौता देने से कतरा रहे हैं। यहां तक एटा के सलासेर के उम्मीदवार रणजीत सुमन के समर्थन में अखिलेश रैली के दौरान पोस्टर से मुलायम को फोटो को जगह नहीं दी गई। 

सपा के इस अंदरूनी कलह का प्रभाव पार्टी के जमीनी नेताओं पर भी पड़ा है। पिछली बार की तुलना मे इस बार लोगों मे जोश की खासी कम दिखने को मिल रही है।

HIGHLIGHTS

  • समाजवादी पार्टी की भीतरी कलह से चुनाव में अलग-थलग पड़े मुलायम सिंह यादव 
  • अपने भाई शिवपाल यादव और छोटी बहू अपर्णा के लिए ही की जनसभा
  •  सपा के पारिवारिक कलह से पार्टी के कार्यकर्ताओं की गर्मजोशी में कमी

Source : Aditi Singh

mulayam-singh-yadav
      
Advertisment