लगातार बढ़ते आतंकी हमलों, देश की सीमाओं पर मौजूद तनाव और बदलते विश्वस्तरीय परिवेश तथा भारत के पड़ोसी स्थानों पर उथल-पुथल को देखते हुए देश की सुरक्षा, मोदी 2.0 सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है. देश के मुद्दों पर रोशनी डालने वाले अग्रणी भारतीय प्रकाशन सदन पेंटागोन प्रेस ने बिल्कुल सटीक समय पर पुस्तक ‘मोदी 2.0 अ रिज़ॉल्व टू सिक्योर इंडिया’ को लॉन्च किया है, जब मौजूदा सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को लेकर बहस पूरे जोरों पर है. घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय राजनैतिक मंचों पर इसके पक्ष और विपक्ष में आवाज़ें उठ रही हैं.
श्री बी. एल. संतोष, राष्ट्रीय महासचिव-संगठन, भाजपा इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे. पैनल पर मौजूद अन्य दिग्गज मेहमानों में शामिल थे प्रोफेसर बाइबेक देबरॉय, चेयरमैन, प्रधानमंत्री जी की परामर्श परिषद; श्री रणजीत पंचंदा, पूर्व महानिदेशक, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस; डॉ उत्तम सिन्हा, फेलो, मनोहर पारीकर इन्सटीट्यूट फॉर डिफेन्स स्टडीज़ एण्ड एनालिसिस; डॉ अनिरबन गांगुली, माननीय निदेशक, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउन्डेशन और श्री राजन आर्या, प्रबन्ध निदेशक, पेंटागोन प्रेस एलएलपी.
‘मोदी 2.0 अ रिज़ॉल्व टू सिक्योर इंडिया’राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों और विचारकों के उल्लेखनीय विचारों एवं इनपुट्स पर रोशनी डालती है तथा इस दृष्टि से मोदी सरकार के प्रदर्शन और रणनीतियों के बारे में बात करती है. संपादकों ने बड़ी ही सावधानी के साथ सरकारी नीतियों, पहलों, आपदा के लिए प्रतिक्रिया तथा सरकार की राजनैतिक नेतृत्व भूमिका का मूल्यांकन किया है. पुस्तक प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों तथा उन महत्वपूर्ण मुद्दों को कवर करती है जिनमें भाजपा ने पर्याप्त सफलता हासिल की है.
HIGHLIGHTS
पुस्तक के मुख्य खण्ड हैं:
- Modi’s Quest and Action for Securing India by Anirban Ganguly;
- Strategies to Countering Insurgency in Assam-SarbanandaSonowal;
- Need for Police Reform by Bibek Debroy;
- Modi Government’s War Against the Underworld by Satya Pal Singh;
- Technology in Support of National Security by Alok Joshi and Forging Ahead: A New Strong India under Modi 2.0 by Ranjit K. Pachnanda
पुस्तक के लॉन्च के अवसर पर श्री बी.एल. संतोष, राष्ट्रीय महासचिव-संगठन, भाजपा ने कहा, ‘‘आज का दिन हम सभी के लिए बेहद खास है. पुस्तक के संपादकों और लेखकों का योगदान इसे और भी खास बनाता है. नए दौर में आश्वासन की भावना कहीं खोती जा रही थी, इन 7 सालों के दौरान हमारे नेता के नेतृत्व में सिस्टम में आश्वासन की भावना फिर से लौट आई है. 70-75 सालों में जिस क्षमता को महसूस नहीं किया गया, उसका उपयोग 7 सालों में कर लिया गया है’.
आज मुझे अपने माननीय प्रधानमंत्री जी के शब्द याद आते हैं- मैं नहीं जानता कि मैं अगले 5 सालों में क्या हासिल कर सकता हूं या क्या दे सकता हूं, क्योंकि उपलब्धियां हासिल करने के लिए बहुत से लोगों के सहयोग एवं समर्थन की ज़रूरत होती है, किंतु मैं आपको आश्वासन देता हूं कि मैं ऐसे तरीके से काम करूंगा कि आपमें से किसी को अगली बार वोट मांगने के लिए सिर नहीं झुकाना पड़ेगा. उन्होंने हमें गौरवान्वित किया है.
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उन्होंने यह भी कहा- भारतीय लोग चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में हों, वे भारतीय हैं. हम उनके लिए ऐसी स्थिति का निर्माण करेंगे, ताकि उन्हें अपने आप को भारतीय कहने गर्व महसूस हो. इस सरकार की उपलब्धि नीतियां नहीं हैं, वे तो पहले से मौजूद थीं. वास्तव में इस नेता के द्वारा मानसिकता में लाया गया बदलाव ही उनकी उपलब्धि है जिसके अनुसार देश ही सर्वोपरि है. प्रोफेसर बिबेक देबरॉय, चेयरमैन, प्रधानमंत्री जी की परामर्श परिषद ने कहा, ‘‘भारत के सुधार एजेंडा के लिए ठोस एवं उग्र सुरक्षा रणनीति बहुत ज़रूरी हिस्सा है. विकास की गति को बनाए रखनेके लिए पुलिस में सुधार तथा हमारी राष्ट्रीय सीमाओं पर उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए रणनीतियां बहुत ज़रूरी हैं.’’
श्री रणजीत पनचंदा, पूर्व महानिदेशक, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने कहा, ‘‘मोदी सरकार का मानना है कि देश का हर नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा में एक समान हितधारक है, जिसे बाहरी एवं भीतरी हर तरह के खतरे से सुरक्षित रखना बहुत ज़रूरी है’. डॉ अनिरबन गांगुली, माननीय निदेशक, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रीसर्च फाउन्डेशन ने कहा, ‘‘मोदी के ‘नव भारत’ का देश की सुरक्षा का दृष्टिकोण अभिव्यक्ति के अनुरूप है. भारत नए सुरक्षा दृष्टिकोण के साथ ठोस नींव पर मजबूत एवं अग्रणी देश के रूप में विकसित होने के लिए तत्पर है.’
पुस्तक के बारे मेंः मोदी 2.0 अ रिज़ॉल्व टू सिक्योर इंडियाःः किसी भी देश की समृद्धि के लिए सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. वास्तविक सुरक्षा न सिर्फ विकास, बदलाव और सुधार पर आधारित है, जिसका विवरण देश के समग्र विकास के रूप में दिया जा सकता है, बल्कि यह सीमाओं पर तनाव कम करने के बारे में भी है. जहां एक ओर सिस्टम में सुरक्षा के लिए भरोसा और आपसी सहयोग मायने रखता है, वहीं दूसरी ओर यह तीन उद्देश्यों से भीजुड़ा है- प्रभावी कूटनीति एवं सैन्य क्षमताएं; आर्थिक समृद्धि को प्रोत्साहन; और प्रशासन और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना. वे मुश्किल चुनौतियां लेकर आते हैं और इन्हें हासिल करना आसान नहीं हैं, किंतु मोदी जी के ‘समग्र सोच’ वाले नेतृत्व में दीघकालिक सामरिक नियोजन एवं समीक्षा को गति मिली है. विचारों को उत्तेजित करने वाली यह पुस्तक मोदी 2.0 सरकार के नेतृत्व में राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर रोशनी डालती है.