जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए हमले को लेकर उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि नफरत और हिंसा की राजनीति के लिए यूनिवर्सिटी को शरणस्थली नहीं बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब हमारे बच्चे यूनिवर्सिटी से निकले तो एक प्रबुद्ध और जिम्मेदार नागरिक बनकर निकले. मंगलवार को उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायूड ने कहा, 'बच्चे शैक्षिणक संस्थानों से प्रबुद्ध नागरिक बनकर निकलें जो लोकतंत्र की रक्षा करने और संविधान में प्रदत्त बुनियादी मूल्यों को संरक्षित करने में गहन रुचि रखते हों'
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के रजत जयंती समारोह में अपने संबोधन में उप राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे यहां के विश्वविद्यालयों में हर तरह के मत एवं विचारों के लिए स्थान है. लेकिन यूनिवर्सिटी को घृणा एवं हिंसा की राजनीति की शरणस्थली नहीं बनना चाहिए.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों और अकादमिक प्रयासों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न कि गुटबाजी और विभाजनकारी प्रवृत्तियों को.
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उप राष्ट्रपति ने आगे कहा, 'भारत अनुसंधान एवं विकास पर जीडीपी का एक फीसदी से भी कम खर्च कर रहा है, यह बदलना चाहिए. खासकर विज्ञान और प्रोद्यौगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में, संसाधनों की आवश्यकता और समय की खपत होती है. इसमें जोखिम भी होता है. एक समाज के तौर पर हमें इस जोखिम को उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए
उन्होंने आगे कहा कि साल 2000 के बाद से देश में उच्च शिक्षा के संस्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है. लेकिन अभी भी पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं दिखाई दे रही है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत के स्नातकों में से महज 47 फीसदी रोजगार योग्य हैं जो कि चिंता का विषय है.
Source : News Nation Bureau