भारत के विश्वविद्यालय अब अपने लक्ष्य और विकास की रूपरेखा स्वयं तय करेंगे। विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपने शिक्षण संस्थानों को बेहतर बनाने के लिए रिपोर्ट तैयार करेंगे और फिर यह रिपोर्ट यूजीसी को दी जाएगी।
इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान यानी आइडीपी के माध्यम से छात्रों की संख्या के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए के मानक तय किए गए हैं। इसके माध्यम से छात्रों के अनुपात में ही विश्वविद्यालय की ढांचागत सुविधाएं व आवश्यकताएं तय की जाएंगी। अर्थात छात्रों की संख्या के आधार पर विश्वविद्यालयों या ऐसे अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों का कुल क्षेत्रफल, कक्षाओं की संख्या और कक्षाओं का क्षेत्रफल, छात्र अध्यापक अनुपात, छात्रों के लिए हॉस्टल, लाइब्रेरी, लैबोरेट्री आदि के मानक तय किए जाएंगे।
अपने विकास का आकलन और भविष्य की रूपरेखा तय करते समय विश्वविद्यालयों को वैश्विक मानदंडों का ध्यान रखना होगा। ऐसा करने से भारत के विश्वविद्यालय न केवल अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में खुद को स्थापित कर पाएंगे बल्कि यहां छात्रों को शिक्षा के बेहतर अवसर भी मिलेंगे।
भारत के विश्वविद्यालय अगले 25 वर्षों के हिसाब से शिक्षा के क्षेत्रों में आने वाले बदलाव और आवश्यकता अनुसार अपनी योजना बनाएंगे। विश्वविद्यालय द्वारा बनाए जाने वाली इस योजना को 5 वर्षों के भीतर ही लागू भी करना होगा।
भारत की नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शुरू की गई इस मुहिम से देश के शिक्षण संस्थानों का बुनियादी ढांचा सु²ढ़ एवं विकसित होगा। यह पूरी योजना छात्रों को केंद्र में रखकर बनाई जाएगी।
दरअसल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान (आइडीपी) नामक ड्राफ्ट तैयार किया है। इसमें बताया गया है कि संस्थान कैसे अपने लक्ष्य और बुनियादी ढांचे को बेहतर बना सकते हैं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अंतर्गत यूजीसी ने यह नई शुरूआत की है। इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान (आइडीपी) के ड्राफ्ट में यूजीसी ने बताया है कि देश के उच्च शिक्षा संस्थान कैसे अपने लक्ष्य और बुनियादी ढांचे को बेहतर बना सकते हैं।
हालांकि अभी यह ड्राफ्ट केवल एक सुझाव के तौर पर विश्वविद्यालयों के साथ साझा किया गया है। फाइनल ड्राफ्ट से पहले यूजीसी देश के उच्च शिक्षण संस्थाओं की राय लेगा। उच्च शिक्षण संस्थानों की सिफारिशों के आधार पर इस ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।
देशभर के ऐसे सभी शिक्षण संस्थान जिनके साथ यूजीसी ने भविष्य की रूपरेखा तय करने वाला यह ड्राफ्ट साझा किया है वह संस्थान 11 फरवरी तक इस ड्राफ्ट के संबंध में अपने विचार यूजीसी के समक्ष रख सकते हैं।
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Source : IANS