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शिक्षण में अब नेट के मुकाबले पीएचडी को मिल रही ज्यादा तरजीह

शिक्षण में अब नेट के मुकाबले पीएचडी को मिल रही ज्यादा तरजीह

Updated on: 21 Jul 2021, 09:35 PM

नई दिल्ली:

यूजीसी नेट दूसरे दौर की परीक्षाएं इस वर्ष के आखिर में आयोजित की करवाई जाएंगी। नेट फिलहाल एक न्यूनतम अनिवार्यता तो है लेकिन शिक्षण के लिए पीएचडी अहमियत बढ़ने लगी है।

दरअसल शिक्षा मामले की संसदीय समिति की राय है कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) के नए प्रतिमानों को पूरा करने के लिए रूपांतरित और पुन आविष्कार किया जाना चाहिए। मूल्यांकन की वर्तमान प्रणाली अप्रभावी है और इच्छुक युवाओं को शिक्षण पेशे में लाने में विफल रही है।

संसदीय समिति की रिपोर्ट के उपरांत दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी अब अपने संबद्ध कॉलेजों के प्रिंसिपलों से उनके कॉलेजों में पढ़ा रहे एडहॉक टीचर्स से मेल के माध्यम से पिछले तीन साल में उनकी पीएचडी का स्टेटस मांगा है। इसमें यह जानकारी मांगी गई है कि पिछले तीन सालों के भीतर पीएचडी पर कार्य चल रहा है, या जमा हो गई है, अवार्ड नहीं हुई है अथवा अवार्ड होने संबंधी डिग्री की जानकारी मांगी गई है। इनमें से सैकड़ों शिक्षकों का चयन राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) के आधार पर हुआ है।

दिल्ली विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा कि में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए अभी नेट या पीएचडी में से एक न्यूनतम होना जरूरी है। तकनीकी रूप से जिसने पीएचडी की है, उसे नेट करने की जरूरत नहीं है और जिसने नेट किया है, वह बिना पीएचडी के ही सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पा सकता है। हालांकि नेट वाले उम्मीदवार को पीएचडी के मुकाबले नियुक्ति के अवसर कम ही मिल पाते हैं।

प्रोफेसर हंसराज ने कहा कि इस बीच यूजीसी के नए नियमों पर भी अमल शुरू होने जा रहा है, जिसमें सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में नेट करने वालों के लिए मौके और कम हो जाएंगे। कालेजों में शिक्षण के लिए धीरे धीरे पीएचडी, शोध पत्रों के प्रकाशन आदि शर्तें जोड़ी जा रही हैं।

फिलहाल यूजीसी ने यूजीसी नेट और पीएचडी दोनों को मंजूरी दी है। हालांकि नियुक्ति प्रक्रिया में नेट करने वाले उम्मीदवारों को 5 से लेकर 10 अंकों का वेटेज दिया जा रहा है, जबकि पीएचडी वालों को 30 अंक तक दिए जा रहे हैं।

वहीं इस वर्ष सीए और सीएस कर चुके व्यक्ति भी यूजीसी नेट की परीक्षा दे सकते हैं। यह निर्णय भी लिया गया है कि सीए और सीएस पाठ्यक्रम अब पोस्ट ग्रेजुएशन के समकक्ष माने जाएंगे। सीए और सीएस कर चुके छात्रों को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी यूजीसी इसके अलावा अन्य अवसर भी प्रदान कर रही है। इसके तहत साथ ही वह यूजीसी नेट और पीएचडी करने के लिए भी सक्षम होंगे।

इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन के आधार पर यूजीसी ने कंपनी सेक्रेटरी को पीजी डिग्री के समकक्ष मान्यता दी है। यह फैसला दुनिया भर में कंपनी सेक्रेटरी प्रोफेशन के लिए लाभकारी होगा।

यूजीसी का कहना है कि इंडियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (कउअक), इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (कउरक) और इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के अनुरोध पर पर यह फैसला किया गया है।

यूजीसी को सीए और कंपनी सेक्रेटरी के साथ-साथ कॉस्ट अकाउंटिंग की तरफ से यह आवेदन प्राप्त हुआ था। अपने अनुरोध में इन संस्थानों ने सीए सीएस और कॉस्ट अकाउंटिंग को पीजी के समकक्ष दर्जा देने की मांग की थी। यह आवेदन प्राप्त होने के उपरांत इसके लिए यूजीसी ने एक विशेष कमेटी का गठन किया। यूजीसी की 550वीं मीटिंग के दौरान यह आवेदन स्वीकार कर लिया गया था।

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