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प्रत्येक भूखंड के लिए आधार की तरह एक विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या

प्रत्येक भूखंड के लिए आधार की तरह एक विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या

Updated on: 17 Nov 2021, 12:25 AM

नई दिल्ली:

देश में प्रत्येक भूखंड के लिए एक विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) होगी। यह व्यवस्था किसी व्यक्ति की आधार संख्या के समान होगी। यह एक प्रकार से भूखंड के आधार नंबर की तरह है। यह प्रक्रिया कम्प्यूटरीकृत डिजिटल भूमि रिकॉर्ड देश के विभिन्न राज्यों के बीच साझा करने और देश भर में भूखंडों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने की एक समान प्रणाली के लिए शुरू की गई है।

विशिष्ट भू खंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) के महत्व के बारे में बात करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह एक प्रकार से भूखंड के आधार नंबर की तरह है। उन्होंने कहा कि इस अनूठी प्रणाली में भूखंड के लिए भू-निदेर्शांक के आधार पर एक विशिष्ट पहचान संख्या तैयार की जाती है और उक्त भूखंड की पहचान के लिए इसे अंकित किया जाता है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब तक इसे 13 राज्यों में लागू किया जा चुका है और 6 राज्यों में प्रायोगिक परीक्षण किया जा चुका है। विभाग ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) के अंत तक पूरे देश के भूखंडों को विशिष्ट पहचान संख्या आवंटित करने की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जब यह व्यवस्था पूरे देश में लागू हो जाएगी तो अधिकांश भूमि विवाद अपने आप सुलझ जाएंगे।

देश में नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एन जी डी आर एस) पोर्टल और डैशबोर्ड शुरू भी किया गया है। भूमि संवाद- डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत यह शुरूआत की गई है। देश में बुनियादी ढांचे के लिए भूमि अधिग्रहण की सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर केंद्र ने राज्यों की राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग भी शुरू की है।

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में मंगलवार को भूमि संवाद- डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डी आई एल आर एम पी) पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री ने नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एन जी डी आर एस) पोर्टल और डैशबोर्ड का भी शुभारंभ किया।

गिरिराज सिंह ने भूमि प्रबंधन, भूमि अधिग्रहण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करने वाले राज्यों से अन्य राज्यों को सीखने और उन्हें अपनाने का आह्वान किया। मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की सराहना करने और प्रोत्साहित करने के लिए भूमि संसाधन विभाग ने राष्ट्रीय भूमि प्रबंधन पुरस्कार-2021 और बुनियादी ढांचे के लिए भूमि अधिग्रहण की सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर राज्यों की राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग भी शुरू की है।

अब तक देश के कुल 656190 गांवों में से 600811 गांवों के भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण का कार्य पूरा हो गया है। कुल 1.63 करोड़ राजस्व मानचित्रों व एफएमबी में से 1.11 करोड़ मानचित्रों के डिजिटलीकरण का कार्य पूरा हो गया है। कुल 5220 उप पंजीयक कार्यालय की तुलना में 4883 कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो गया है। उप पंजीयक कार्यालयों और राजस्व कार्यालयों के एकीकरण अभियान में 3975 कार्यालयों का एकीकरण किया जा चुका है जबकि कुल कार्यालयों की संख्या 5220 है, कुल 6712 तहसील व राजस्व कार्यालयों की तुलना में 2508 तहसील, राजस्व कार्यालयों में आधुनिक अभिलेख कक्ष की स्थापना पूरी हो चुकी है। देश के कुल 656190 गांवों की तुलना में 74789 गांवों में सर्वेक्षण और पुन सर्वेक्षण का कार्य पूरा किया जा चुका है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एन जी डी आर एस) पंजीकरण प्रणाली के लिए एक आधुनिक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जिसे एन आई सी द्वारा विकसित किया गया है। यह सॉफ्टवेयर देश के राज्य आधारित आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य करने में दक्ष है। यह पारदर्शिता और दस्तावेजों को क्रियान्वित करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है और दस्तावेजों के पंजीकरण की प्रक्रिया में लागत, समय और बार बार जाने की प्रक्रिया में कमी लाता है।

अब तक इसे 12 राज्यों में क्रियान्वित किया जा चुका है और 3 राज्यों में प्रायोगिक चरण में है। इस प्रकार यह 10 करोड़ जनसंख्या को कवर कर चुका है। जानकारी के अनुसार इस सिस्टम का उपयोग करते हुए 25 लाख से अधिक दस्तावेजों का पंजीकरण किया जा चुका है। यह भी अनुभव किया गया है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से पंजीकरण कराने के लिए किसी व्यक्ति को मात्र एक या दो बार कार्यालय जाना पड़ता है जबकि पहले 8-9 बार अलग-अलग कार्यालयों में चक्कर लगाना पड़ता था। ज्यादा जोर रजिस्ट्री ऑफिस को उन अन्य दफ्तरों के साथ एकीकरण पर है जिनसे पंजीकरण की प्रक्रिया में कुछ सूचनाओं की आवश्यकता होती थी। दस्तावेजों के पंजीकरण के बाद दाखिल-खारिज से जुड़ी सूचना संबंधित कार्यालय को स्वत ही चली जाती है। वर्ष 2020 के लिए पंजीकरण प्रक्रिया के डिजिटलीकरण हेतु की गई पहल के चलते विभाग को डिजिटल इंडिया अवार्ड 2020 से सम्मानित किया जा चुका है।

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