logo-image

माथे पर गुरु ग्रंथ साहिब रख चलते नजर आए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह और जेपी नड्डा

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी पंजाब के सिखों को यह संदेश देना चाहते हैं कि केंद्र सरकार और भाजपा पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का इतना सम्मान करते हैं.

Updated on: 10 Dec 2021, 11:15 PM

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान के काबुल से एक सिख प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को भारत पहुंचा. यह प्रतिनिधिमंडल अपने साथ तीन गुरु ग्रंथ साहिब भी लाया था. इसके बाद एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें केंद्रीय मंत्री और जेपी नड्डा सिर पर ग्रंथ को रख कर धीरे-धीरे संतुलन बना कर चल रहे हैं. उनके साथ कुछ अन्य लोग भी नजर आ रहे हैं जो धीरे-धीरे उनके साथ चल रहे हैं. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और  केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का सिर पर गुरु ग्रंथ साहिब को रख कर चलते हुए वीडियो का सामने आना पंजाब चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है.  

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी पंजाब के सिखों को यह संदेश देना चाहते हैं कि केंद्र सरकार और भाजपा पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का इतना सम्मान करते हैं. दरअसल, पंजाब में सिख समुदाय की अधिकता है और अकाली दल से भाजपा का गठबंधन समाप्त हो जाने के बाद राज्य में भाजपा को अपने अस्तित्व की रक्षा करने की चुनौती है.  

यह प्रतिनिधिमंडल ऑपरेशन देवी शक्ति के साथ तहत आया है. इसके बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा इसे अपने सिर पर रखकर बाहर आते नजर आए. इसी साल 15 अगस्त को तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया था. इसके बाद से ही वहां सिखों की स्थिति ठीक नहीं थी. इससे पहले भी अफगानिस्तान से पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब के तीन स्वरूप भारत पहुंचे थे. इनहें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने खुद रिसीव किया था.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अगले ही दिन से भारत ने अपने लोगों को वहां से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. भारतीयों को वहां से निकालने के लिए ही ऑपरेशन देवी शक्ति चलाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस ऑपरेशन की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे. बताया गया था कि जैसे मां दुर्गा निर्दोष लोगों को राक्षसों से रक्षा करती है उसी तरह इस मिशन के तहत तालिबन से अपने लोगों को सुरक्षित निकाला जाएगा.

इतना ही नहीं तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने वहां से निकलने की कोशिश में लगे सिखों और हिंदुओं को आपातकालीन वीजा देने का ऐलान किया था. 1970 के दशक तक अफगानिस्तान में लाखों हिंदू और सिख रहते थे लेकिन आज वहां इनकी संख्या काफी कम है. तालिबान पर अल्पसंख्यकों के प्रति क्रूर रवैया अपनाने का आरोप लगता रहा है.