विपक्षी एकता पर बोले राम विलास पासवान, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को क्या कोई नेता मानता है?

पासवान से पूछा गया कि क्या वह भी 2019 से पहले राजग छोड़ देंगे, क्योंकि अनेक राजग सहयोगी बीजेपी के साथ अपने रिश्तों पर पुनर्विचार कर रहे हैं।

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
विपक्षी एकता पर बोले राम विलास पासवान, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को क्या कोई नेता मानता है?

राम विलास पासवान (फाइल फोटो)

केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने विपक्षी एकता को क्षणिक बताते हुए सवाल उठाया है कि आखिर विपक्ष का नेता कौन होगा ?

Advertisment

खाद्य एवं जनवितरण तथा उपभोक्ता मामलों के केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने पीटीआई से विशेष बातचीत में दावा किया कि विपक्ष की तथाकथित एकता क्षणिक है और नेतृत्व के प्रश्न पर एवं स्वार्थों के टकराव के चलते यह स्थाई नहीं हो सकती।

पासवान से पूछा गया कि क्या वह भी 2019 से पहले NDA छोड़ देंगे, क्योंकि अनेक NDA सहयोगी बीजेपी के साथ अपने रिश्तों पर पुनर्विचार कर रहे हैं।

इस पर पासवान ने दो टूक कहा, 'सवाल ही नहीं उठता।' उन्होंने कहा कि वह NDA के साथ ही रहेंगे और एक बार फिर NDA सत्ता में आयेगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या यह सच नहीं है कि वह हमेशा सत्ता के साथ रहते हैं, पासवान ने कहा, 'यह सच नहीं है, अलबत्ता हकीकत यह है कि वह जिसके साथ रहते हैं सत्ता उसके पास रहती है।'

केन्द्र की मोदी सरकार के चार वर्ष पूरा होने पर उसकी सफलताओं का विवरण देने रांची आये केन्द्रीय मंत्री पासवान ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'मैं स्वयं चाहता हूं कि विपक्ष मजबूत हो लेकिन हकीकत यह है कि पिछले तीन दशकों में पहली बार विपक्ष इतना कमजोर है कि लोकसभा में संवैधानिक तौर पर कोई विपक्ष का नेता ही नहीं बन सका।'

और पढ़ें- NN Exclusive: मेरे खिलाफ सरकारी मशीनरी का हो रहा दुरुपयोग- मुशर्रफ

पासवान ने कहा, 'हाल ही में उपचुनावों के दौरान राज्यों में बनी विपक्ष की एकता तात्कालिक थी। एक या दो सीटों के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों में तालमेल बड़ी बात नहीं होती लेकिन मैं भविष्यवाणी कर सकता हूं कि यह विपक्षी एकता चलने वाली नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'यह विपक्षी एकता क्षणिक है।'

उपचुनावों में बीजेपी और NDA के अन्य घटकों की हार पर पासवान ने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन उन्होंने दावा किया कि 2019 में होने वाले आम चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व में NDA को भारी बहुमत मिलेगा और फिर से केन्द्र में उसकी सरकार बनेगी।

उन्होंने कहा कि 2014 के आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों ने कुल 73 सीटें जीती थीं। वहां से एसपी को पांच और कांग्रेस को महज अमेठी और रायबरेली की दो सीटें हासिल हुई थीं।

उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे में आगामी चुनावों में विपक्षी एकता के नाम पर एसपी, बीएसपी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल आपस में सीटों का बंटवारा कैसे करेंगे।

और पढ़ें- भारत ने ओडिशा तट पर अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया

पासवान ने कहा कि जहां NDA में नरेन्द्र मोदी जैसा सशक्त निर्विवाद नेता सामने होगा वहीं संयुक्त विपक्ष का नेतृत्व आखिर कौन करेगा? उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है, 'कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी को क्या कोई नेता मानता है?'

उन्होंने सवाल किया, 'क्या आपके अरविन्द केजरीवाल राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को राजी होंगे? क्या ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, कम्युनिस्ट पार्टियां, मायावती, अखिलेश यादव राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करेंगे?'

उन्होंने दावा किया कि देश में विपक्ष जिस तरह सिर्फ नरेन्द्र मोदी को हटाने के एजेंडे पर एकजुट होने का दावा कर रहा है उसे जनता कभी भी स्वीकार नहीं करेगी।

अल्पसंख्यकों के NDA से किनारा करने के सवाल पर पासवान ने कहा, 'यह बिलकुल गलत धारणा है कि अल्पसंख्यक बीजेपी से पूरी तरह अलग हैं। अथवा बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने पर अल्पसंख्यक उसके सहयोगी दलों को भी मत नहीं देते..... यह धारणा बेबुनियाद है।'

उन्होंने दावा किया, 'मैंने और मेरी लोक जनशक्ति पार्टी ने प्रयोग किया और पाया कि बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने पर भी अल्पसंख्यकों ने हमारे पक्ष में मतदान किया है।'

और पढ़ें- मीडिया अटेंशन के लिए आंदोलन कर रहे किसान: राधा मोहन सिंह

Source : News Nation Bureau

Lok Sabha Election NDA Government Ram Vilas Paswan
      
Advertisment