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हर गांव में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री क्यों खुलवाना चाहते हैं गडकरी?, जानें वजह

गडकरी के मुताबिक, गोबर से बना अनोखा पेंट लांच होने के बाद डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है. अभी जयपुर में ट्रेनिंग की व्यवस्था है. इतने आवेदन आए कि सबकी ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है.

Updated on: 14 Feb 2021, 03:47 PM

highlights

  • हर गांव में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खुलवाने की तैयारी में एमएसएमई मंत्री.
  • इसके लिए उनका सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय खास प्लान तैयार करने में जुटा है.
  • गोबर से पेंट बनाने के लिए एक फैक्ट्री खोलने में 15 लाख रुपये का खर्च आ रहा है.

नई दिल्ली :

देश के हर गांव में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खुलवाने की तैयारी में एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी जुटे हुए हैं. इसके लिए उनका सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय खास प्लान तैयार करने में जुटा है. गोबर से पेंट बनाने के लिए एक फैक्ट्री खोलने में 15 लाख रुपये का खर्च आ रहा है. मंत्रालय का मानना है कि केंद्रीय मंत्री गडकरी का सपना साकार हुआ तो हर गांव में रोजगार के अवसर उपलब्ध होने से शहरों की तरफ पलायन की समस्या खत्म होगी. गडकरी के मुताबिक, गोबर से बना अनोखा पेंट लांच होने के बाद डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है. अभी जयपुर में ट्रेनिंग की व्यवस्था है. इतने आवेदन आए कि सबकी ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है. साढ़े तीन सौ लोग वेटिंग लिस्ट मे हैं. पांच से सात दिनों की ट्रेनिंग होती है. ऐसे में हम ट्रेनिंग सुविधा बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग ट्रेनिंग लेकर गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री का संचालन करें. हर गांव में एक फैक्ट्री खुलने से ज्यादा रोजगार पैदा होगा.

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दरअसल, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने बीते 12 जनवरी, 2021 को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से तैयार गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च किया था. यह पेंट इकोफ्रेंडली है. पहला ऐसा पेंट है, जो विष-रहित होने के साथ फफूंद-रोधी, जीवाणु-रोधी गुणों वाला है. गाय के गोबर से बने और भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित, यह पेंट गंधहीन है. यह पेंट दो रूपों में उपलब्ध है - डिस्टेंपर तथा प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट के रूप में मार्केट में आया है.

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एमएसएमई मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पिछले साल मार्च 2020 से गोबर से पेंट बनाने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को प्रेरित किया था. आखिरकार, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की जयपुर में स्थित यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने इस तरह के अनोखे पेंट को तैयार करने में सफलता हासिल की. इस पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का असर नहीं है.

किसानों की बढ़ेगी कमाई

पेंट की बिक्री बढ़ने के बाद गांवों में गोबर की खरीद भी बढ़ेगी. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, सिर्फ एक मवेशी के गोबर से किसान हर साल 30 हजार रुपये कमाएंगे. अभी तक किसान गोबर का सिर्फ खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, गांव-गांव पेंट की फैक्ट्रियां खुलने के बाद गोबर की खरीद का भी एक तंत्र बन जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा. मोदी सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशों में जुटी है. ऐसे में गोबर के माध्यम से भी किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में गडकरी के मंत्रालय ने यह प्रयास किया है.