देश में कुशल कार्यबल में सुधार की जरूरत : धर्मेद्र प्रधान

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि विकसित देशों में कुशल श्रमबल की संख्या 50 से 90 फीसदी है जबकि भारत में नेशनल सैम्पल सर्वे के परिणाम दर्शाते हैं कि देश में कुशल कार्यबल की संख्या मात्र 10 फीसदी है।

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
देश में कुशल कार्यबल में सुधार की जरूरत : धर्मेद्र प्रधान

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (फाइल फोटो)

कौशल विकास एवं उद्यमिता तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि विकसित देशों में कुशल श्रमबल की संख्या 50 से 90 फीसदी है जबकि भारत में नेशनल सैम्पल सर्वे के परिणाम दर्शाते हैं कि देश में कुशल कार्यबल की संख्या मात्र 10 फीसदी है।

Advertisment

ऐसे में इस क्षेत्र में जबरदस्त सुधार की जरूरत है।फिक्की के 'ग्लोबल स्किल्स समिट' के दसवें संस्करण के उद्घाटन मौके पर प्रधान ने कहा कि भारत पहले ओद्यौगिक क्रांति से चूक गया था, लेकिन अब देश 'उद्योग 4.0' के लिए पूरी तरह से तैयार है।

सम्मलेन के दौरान कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से 'न्यू एज स्किल्स फॉर टुडे एंड टुमारो' विषय पर चर्चा सत्र का आयोजन किया गया।

यह भी पढ़ें: पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर धर्मेंद्र प्रधान ने पल्ला झाड़ा, कहा- GST ही एक मात्र उपाय

इस मौके पर मंत्री जी ने चार रिपोर्ट्स का अनावरण किया- 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स' रिपोर्ट, फिक्की की इंडस्ट्री एंगेजमेन्ट रिपोर्ट, फिक्की की एम्प्लॉयर लैड जॉब मॉडल्स प्राइमर रिपोर्ट, फिक्की संचालित मीडिया एण्ड एंटरटेनमेन्ट स्किल्स काउन्सिल द्वारा 'मीडिया टॉक बैक' पर मैग्जीन तथा केस स्टडी और कौशल विकास के प्राइवेट सेक्टर मॉडल। इसके अलावा सम्मेलन के दौरान फिक्की और यूएनडीपी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए।

टेकनोलॉजी और शिल्पकारी शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए वल्र्डस्किल्स इंटरनेशनल के अध्यक्ष साइमन बार्टले ने कहा, 'दुनिया के भविष्य को स्थायी बनाने के लिए दिल, दिमाग और हाथ को मिल कर काम करना होगा। तेजी से बदलते परिवेश में भारत को वैश्वीकरण, मानकीकरण तथा नई तकनीकों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। ताकि आज के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।'

फिक्की स्किल डेवलपमेन्ट कमेटी (कौशल विकास समिति-एसडीसी) के चेयरमैन तथा मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन मोहन दास पाई ने कहा, 'भारत में शिक्षा एवं कौशल नीतियों में बदलाव लाने की आवश्यकता है, हमें नियोक्ताओं के लिए ऐसा माहौल बनाना होगा, ताकि वे बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा कर सकें। इस तरह से तकनीक के सही इस्तेमाल के साथ-साथ नियोक्ता-उन्मुख प्रशिक्षण तथा हर राज्य के लिए नीति निर्माण की जरूरत है।'

यह भी पढ़ें: भारत-जापान समझौते पर चीन की चेतावनी, पूर्वोत्तर के विवादित क्षेत्र में विदेशी निवेश मंजूर नहीं

Source : IANS

Skilled Workforce country Dharmendra pradhan
      
Advertisment