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रत्नागिरि रिफाइनरी पर भारत-यूएई ने किए हस्ताक्षर, प्रधान ने कहा- करूंगा शिवसेना से बात

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर उद्धव ठाकरे से बात करेंगे, ताकि प्रस्तावित रत्नागिरि रिफाइनरी के कारण किसानों की जमीन के खतरे को लेकर शिवसेना नेताओं का डर कम किया जा सके।

Updated on: 25 Jun 2018, 09:20 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर उद्धव ठाकरे से बात करेंगे, ताकि प्रस्तावित रत्नागिरि रिफाइनरी के कारण किसानों की जमीन के खतरे को लेकर शिवसेना नेताओं का डर कम किया जा सके।

प्रधान सऊदी राष्ट्रीय तेल कंपनी अरामको और अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद बोल रहे थे। ये दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से एकीकृत रत्नागिरि रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) को विकसित और इनका निर्माण करेंगी।

इनको सरकार के स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम अपना सहयोग प्रदान करेंगी।

शिवसेना के साथ स्थानीय ग्रामीणों का एक वर्ग भी ननार की इस 44 अरब डॉलर की परियोजना का विरोध कर रहा है।

प्रधान ने कहा, 'हम इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ बात कर रहे हैं। मैं उद्धव ठाकरे के साथ बात करूंगा और स्थानीय लोगों की वास्तविक शिकायतों का समाधान कंपनियों द्वारा किया जाएगा।'

उन्होंने कहा, 'रिफाइनरी को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। किसानों की शिकायतों का खयाल रखा जाएगा।'

अप्रैल में हुए 16वें अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम (आईईएफ) से इतर एक भारतीय संघ और अरामको के बीच आरआरपीसीएल स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षार किए गए थे। 

प्रधान ने कहा, 'भारतीय रिफाइनरी क्षेत्र में यह अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है।'

उन्होंने कहा, 'यह विशाल रिफाइनरी 2022 तक प्रति दिन 12 लाख बैरल या प्रतिवर्ष छह करोड़ टन कच्चे तेल के प्रसंस्करण में सक्षम होगी।'

पेट्रोलियम मंत्रालय के बयान के मुताबिक, यह रिफाइनरी शुद्ध पेट्रोलियम उत्पादों की एक श्रृंखला का उत्पादन करेगी।