देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बीच विपक्ष ने पीएम मोदी पर हमले और तेज़ कर दिये हैं और बयानबाजी चरम पर है. चुनावी शोर के बीच नेता ऐसे बयान दे रहें है जो उनकी पार्टी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. कांग्रेस नेता राज बब्बर के बाद विलासराव मुत्तेमवार ने पीएम मोदी पर विवादितस्पद बयान दिया. बाड़मेर जिले के सिवाना विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि पीएम मोदी के पिता का नाम कोई नहीं जानता जबकि राहुल गांधी के पिता तो क्या उनकी पांच पीढ़ियों तक के नाम सभी को पता है. कांग्रेस की ओर से पीएम मोदी पर हुए व्यक्तिगत हमले के बाद बीजेपी की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली भी मैदान में कूद पड़े. जेटली ने अपने ब्लॉग के जरिये कांग्रेस को घेरा. केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगाते हुए कई सवाल दागे.
उन्होंने कहा, कांग्रेस ने कई बड़े नेताओं के योगदान को कम करके दिखाया है. साधारण परिवार से आने वाले लाखों राजनीतिक कार्यकर्ता कांग्रेस के लीडरशिप टेस्ट में फेल हो जाएंगे.. यहां मेरिट कोई मायने नहीं रखता. कांग्रेस सिर्फ एक महान सरनेम को राजनीतिक ब्रैंड के रूप में स्वीकार करती है. अरुण जेटली ने कांग्रेस से नाम पूछकर पार्टी को आड़े हाथ लिया. वित्त मंत्री ने तीन सवाल पूछे-
गांधीजी के पिता का क्या नाम था?
सरदार पटेल के पिता का क्या नाम था?
सरदार पटेल की पत्नी का क्या नाम था?
अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में आगे लिखा कि मेरे किसी भी जानकार दोस्त के पास इन सवालों का साफ़ उत्तर नहीं हैं. यही कांग्रेस राजनीति की त्रासदी है. महात्मा गांधी ने भारत के स्वंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया. राजनीतिक जागरूकता के जरिये गांधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसा को बढ़ाया. इस माहौल ने अंग्रेजों का भारत में रहना मुश्किल किया.
सरदार पटेल का भी महत्वपूर्ण योगदान है. स्वतंत्रता सेनानी होने के अलावा वह भारत के उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे. उन्होंने ब्रिटिश से सत्ता हस्तांतरण पर बात की थी.
आगे अपने सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, गांधीजी के पिता का नाम करमचंद गांधी, सरदार पटेल के पिता का नाम झवेरभाई पटेल और उनकी पत्नी का नाम दिवाली बा था. आगे उन्होने लिखा, मॉडर्न इतिहासकारों की तमाम रिसर्च के बावजूद आज भी उनकी अपनी पत्नी के साथ या अन्य कोई जानकारी मौजूद नहीं है. एक परिवार को इस तरह महिमामंडित करना और वह भी उससे ज्यादा योगदान देने वाले लोगों को भुलाकर, यह देश के लिए खतरनाक है. सरदार पटेल और वल्लभ भाई पटेल के योगदान को कम दिखाया गया है. एक परिवार के सदस्य को ही बड़ा दिखाया गया है. पार्टी उनकी ही विचारधारा अपनाती है.
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वित्त मंत्री ने ब्लॉग में आगे लिखा है कि देश को वंशवादी राजनीति का खामियाजा भी भुगतना पड़ा. तीन परिवार, जिनमें दो श्रीनगर और एक नई दिल्ली में हैं, पिछले 71 साल जम्मू-कश्मीर के भाग्य के साथ खेल रहे हैं. कांग्रेस की वंशवादी राजनीति को दूसरे दलों ने भी अपनाया. भारतीय लोकतंत्र की असली मज़बूती तब आएगी जब कुछ परिवारों के करिश्मा खत्म हो जाएंगे. यह 2014 में पर्याप्त रूप से साबित हुआ था जहां अधिकांश राजवंश दल बुरी तरह हार गए थे. 2019 का भारत 1971 के भारत से अलग है.
Source : News Nation Bureau