logo-image

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर यह क्या बोल गए मोदी सरकार में मंत्री अनंत हेगड़े...

केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने सबरीमाला मंदिर में बुधवार को दो महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा है कि यह घटना दिनदहाड़े हिंदुओं का रेप करने जैसा है.

Updated on: 03 Jan 2019, 10:52 AM

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने सबरीमाला मंदिर में बुधवार को दो महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा है कि यह घटना दिनदहाड़े हिंदुओं का रेप करने जैसा है. इसके साथ ही अनंत कुमार हेगड़े ने केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन सरकार पर भी विफल रहने का आरोप लगाया है. केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने कहा, 'वामपंथियों के पूर्वाग्रहों के बजाय केरल के सीएम का पूर्वाग्रह लोगों में भ्रम पैदा कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर निर्देश दिया. हां, मैं उससे सहमत हूं लेकिन कानून-व्यवस्था, जोकि राज्य सरकार के अधीन आती है उसका काम है कि बिना जनभावनाओं को ठेस पहुंचाए व्यवस्था को किस तरह संभाला जाए, यह काफी अहम होता है. हालांकि, केरल सरकार इसमें बुरी तरह से विफल साबित हुई है. यह हिंदू लोगों का दिनदहाड़े रेप है.'

अनंत हेगड़े अपने विवादित बयान को लेकर पहले भी सुर्खियां बटोरते रहे हैं. कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि मौजूदा केंद्र सरकार संविधान बदलने के लिए बनी है और वह इसको बदलकर रहेगी. हालांकि इसके बाद उन्होंने इस बयान पर यू टर्न ले लिया था.

गौरतलब है कि केरल की दो महिलाओं ने बुधवार को सबरीमाला मंदिर में प्रार्थना व दर्शन किया. ये महिलाएं उसी आयु वर्ग की हैं, जिस पर अब तक प्रतिबंध लगा हुआ था. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर लगी रोक को हटा दिया है, लेकिन इसके बावजूद कुछ संगठनों द्वारा न्यायालय के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा था कि सभी उम्र की महिलाओं (पहले 10-50 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर बैन था) को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश मिलेगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 48 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है.

कोर्ट ने क्या कहा था

अदालत ने कहा था कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अदालत की पांच सदस्यीय पीठ में से चार ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखी थी.

और पढ़ें- सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के विरोध में बीजेपी महिला मोर्चा का प्रदर्शन

पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एम.एम. खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा, 'शारीरिक या जैविक आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता. सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता.'