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अमेरिका की आपत्ति के बावजूद भारत खरीदेगा S-400 रूसी मिसाइलें

उच्चस्तरीय आधिकारी सूत्र के अनुसार, 'भारत रूस के साथ एस- 400 मिसाइल के सौदे को तकरीबन संपन्न कर चुका है और हम इस पर आगे बढ़ रहे हैं। मुद्दे पर अपने पक्ष से अमेरिका को अवगत कराया जाएगा।'

Updated on: 02 Sep 2018, 08:55 PM

नई दिल्ली:

अमेरिका की ओर से लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों और आपत्तियों के बावजूद भारत रूस के साथ एस-400 ट्रायम्फ हवाई रक्षा मिसाइल तंत्र खरीदने की डिफेंस डील करने की तैयारी में है। इसको लेकर भारत आगामी टू प्लस टू वार्ता के दौरान अमेरिका को इस बारे में जानकारी दे सकता है कि वह मॉस्को के साथ 40,000 करोड़ रूपये के इस सौदे पर आगे बढ़ रहा है। विदेश और रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने इस बात की जानकारी रविवार को दी।

उन्होंने बताया कि भारत इस बड़े सौदे के लिए ट्रंप प्रशासन से छूट की मांग कर सकता है। इसके लिए भारत क्षेत्रीय सुरक्षा की पृष्ठभूमि के साथ ही रूस के साथ अपने करीबी रक्षा सहयोग के मद्देनजर मिसाइल प्रणाली को लेकर अपनी जरूरतों का हवाला दे सकता है।

उच्चस्तरीय आधिकारी सूत्र के अनुसार, 'भारत रूस के साथ एस- 400 मिसाइल के सौदे को तकरीबन संपन्न कर चुका है और हम इस पर आगे बढ़ रहे हैं। मुद्दे पर अपने पक्ष से अमेरिका को अवगत कराया जाएगा।'

गौरतलब है कि अमेरिका ने क्रीमिया पर कब्जे और साल 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में कथित दखल के लिए सख्त सीएएटीएसए कानून के तहत रूस के खिलाफ सैन्य प्रतिबंध लगा रखा है।

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सीएएटीएसए के तहत डोनॉल्ड ट्रंप प्रशासन को रूस के रक्षा या खुफिया प्रतिष्ठान के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन में संलिप्त देश और संस्था को दंडित करने का अधिकार मिला हुआ है।

एशिया मामलो में देखने वाले पेंटागन के वरिष्ठ अधिकारी रेंडाल स्क्रीवर ने गुरूवार को कहा कि अमेरिका इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि रूस से हथियार और रक्षा तंत्र की खरीदारी करने के मामलें में भारत को छूट दी जाएगी।

अमेरिका संकेत देता रहा है कि वह नहीं चाहता है कि भारत रूस के साथ सौदे को अंतिम रूप दे। अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक मामलों पर बहुप्रतीक्षित टू प्लस टू वार्ता का पहला संस्करण यहां छह सितंबर को होगा।

इसमें आपसी हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। पिछले साल तय नये प्रारूप के तहत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका के विदेश मंत्री माइक आर पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मेटिस के साथ वार्ता करेंगी।

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सूत्रों का कहना है कि भारत इस मिसाइल डील के लिए अमेरिका पर छूट का दबाव बनाएगा क्योंकि सुरक्षा तैयारियों के लिहाज से एयर डिफेंस सिस्टम जरूरी है। उन्होंने कहा कि रूस और भारत अक्टूबर में पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच होने जा रही वार्षिक बैठक से इस डील की घोषणा कर देंगे।

भारत खासकर चीन के साथ लगी 4000 किमी लंबी सीमा पर एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत बनाना चाहता है। चीन 2014 में ही रूस से अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीद चुका है। मॉस्को ने चीन को इसकी डिलिवरी भी शुरू कर दी है।