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Twitter ने अब जम्मू कश्मीर-लद्दाख को अलग देश दिखाया, नहीं सुधरेगा

सोशल मीडिया पर इस बात की मांग तेजी पकड़ने लगी है कि बार-बार भारत की संप्रभुत्ता और सम्मान से खिलवाड़ कर रहे टि्वटर को देश में प्रतिबंधित क्यों नहीं कर दिया जाता है.

Updated on: 28 Jun 2021, 03:02 PM

highlights

  • माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने फिर की भारत के नक्शे से छेड़छाड़
  • इसके पहले लेह को बजाय लद्दाख के जम्मू-कश्मीर का हिस्सा बताया था
  • सरकार और ट्विटर के बीच नए आई नियमों को लेकर चल रही खींचतान

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार से चल रही रार के बीच ट्विटर इंडिया ने एक बार फिर विवाद को जन्म दे दिया है. उसने इस बार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग देश की तरह अपनी वेबसाइट पर दिखाया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने अपनी साइट ने कैरियर ऑप्शन वाले पेज पर जो विश्व का नक्शा प्रदर्शित किया है, उसमें भारत के नक्शे से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख गायब है. यानी उन्हें अलग देश के तौर पर निरूपित किया गया है. इसके बाद सोशल मीडिया पर इस बात की मांग तेजी पकड़ने लगी है कि बार-बार भारत की संप्रभुत्ता और सम्मान से खिलवाड़ कर रहे टि्वटर को देश में प्रतिबंधित क्यों नहीं कर दिया जाता है. 

भारत के नक्शे से पहले भी कर चुका है छेड़छाड़
ऐसा कोई पहली बार नहीं है कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने भारत का गलत नक्शा दिखाया हो. पिछले साल भी ट्विटर ने जम्मू और कश्मीर के हिस्से के तौर पर दिखाया था. सरकार के सूत्रों ने कहा है कि ट्विटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इससे पहले  12 नवंबर सरकार ने लेह को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की जगह जम्मू कश्मीर के हिस्से के रूप में दिखाने के लिए ट्विटर को नोटिस जारी किया था. ट्विटर की ओर से यह गलत नक्शा उस वक्त दिखाया गया है जब नये सोशल मीडिया नियमों को लेकर यह साइट सरकार के निशाने पर है. सरकार ने ट्विटर पर जानबूझकर इन नये नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया है और उसकी आलोचना की है.

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सोशल मीडिया पर उबाल
हालांकि ताजा विवाद पर भारत सरकार की ओर से अब तक ट्विटर को कोई नोटिस नहीं जारी की गई है. हालांकि जानकारों का मानना है कि अगर कोई नोटिस जारी होती है और अगर ट्विटर सुधार नहीं करता है तो संभावित विकल्पों में भारत में ट्विटर तक पहुंच पर प्रतिबंध लगाने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत कार्रवाई शुरू करना शामिल हो सकता है. इसके साथ ही आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत, सरकार एक प्राथमिकी दर्ज कर सकती है, जिसमें छह महीने तक के कारावास का प्रावधान है.