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Twitter के तेवर पड़े नर्म, गाइडलाइंस के पालन का कर रहा प्रयास

ट्विटर ने कहा है कि वह भारत के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहा है और अपने प्लेटफार्म पर इस संबंध में सार्वजनिक चर्चा की सुविधा भी दे रहा है.

Updated on: 10 Jun 2021, 08:02 AM

highlights

  • माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने सफाई दी
  • नई गाइडलाइंस का पालन करने के हर संभव प्रयास
  • खोना पड़ सकता है मध्यस्थ इकाई का दर्जा

नई दिल्ली:

तू डाल-डाल तो मैं पांत-पांत सरीखे खेल में केंद्र सरकार के सख्त रवैये के आगे माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की इंटरमीडियरी गाइडलाइंस जारी होने के बाद माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने अपनी सफाई दी है. ट्विटर ने कहा है कि वह भारत के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहा है और अपने प्लेटफार्म पर इस संबंध में सार्वजनिक चर्चा की सुविधा भी दे रहा है. अपने तेवरों में नर्मी लाते हुए ट्विटर ने कहा कि हमने भारत सरकार को आश्वासन दिया है कि ट्विटर नई गाइडलाइंस का पालन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. इस बारे में ट्विटर सरकार को हफ्ते भर में अपडेट देगा. गौरतलब है कि इसके पहले ट्विटर ने भारत के कई राजनेताओं के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटाया था, जिसे बाद में बहाल भी कर दिया था. 

मंत्रालय ने मांगी ये जानकारी
गौरतलब है कि आईटी मंत्रालय के मुताबिक बड़े सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स अपनी मूल कंपनी या किसी अन्य सहायक कंपनी के जरिए भारत में सेवाएं देते हैं. इनमें से कुछ आईटी अधिनियम और नए नियमों के तहत महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं. ऐसे में इन नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स एप का नाम, वेबसाइट और सर्विस जैसी डिटेल्‍स के अलाव तीन प्रमुख कर्मियों के ब्‍योरे के साथ भारत में प्‍लेटफॉर्म का फिजिकल एड्रेस मुहैया कराएं. पत्र में कहा गया है कि अगर आपको एसएसएमआई नहीं माना जाता है तो हर सेवा पर रजिस्‍टर्ड यूजर्स की संख्या समेत इसके कारण की जानकारी दी जाए.

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खोना पड़ सकता है मध्‍यस्‍थ इकाई का दर्जा
नए दिशा-निर्देशों के तहत नियमों का पालन नहीं करने पर सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी मध्यस्थ इकाई का दर्जा खोना पड़ सकता है. दूसरे शब्दों में अनुपालन के मामले में उन पर आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. नए नियमों के मुताबिक, अधिकारियों की ओर से अगर किसी सामग्री को लेकर आपत्ति जताई जाती है और उसे हटाने के लिए कहा जाता है तो उन्हें 36 घंटे के भीतर कदम उठाना होगा.