बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीएम नीतीश को अयोग्य करार दिए जाने वाली याचिक पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दो हफ्तों में जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल शर्मा ने नीतीश कुमार के चुनावी हलफनामे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। शर्मा के इसी याचिका पर कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है।
वकील एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार ने अपने चुनावी हलफनामें में खुद के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमों की जानकारी छुपा ली थी।
याचिकाकर्ता वकील का दावा है कि चुनावी हलफनामे में नीतीश कुमार ने साल 2004 और 2014 में चुनाव लड़ने के लिए दाखिल शपथ पत्र में 1991 में हुई एक हत्या के मामले में खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर की बात छुपाई। इसी वजह से उन्हें संवैधानिक पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
क्या है पूरा मामला
बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद आरजेडी अध्यक्ष लालू यादन ने नीतीश कुमार पर हत्या के एक मामले में नामजद होने का आरोप लगाया था। ये मामला 26 साल पहले 1991 का है।
पंडारख थाना क्षेत्र के ढीबर गांव के रहने वाले अशोक सिंह ने अपनी भाई सीताराम सिंह की हत्या के मामले में नीतीश कुमार सहित अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया था।
इस मामले में 2009 में एजीजेएम ने नीतीश कुमार के खिलाफ मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था। इस आदेश को नीतीश कुमार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसके बाद कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।
HIGHLIGHTS
- नीतीश कुमार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
- सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नीतीश को अयोग्य ठहराने की मांग
Source : News Nation Bureau