त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने शनिवार को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वी.एस. यादव इस साल अक्टूबर में राज्य में कुछ सांप्रदायिक घटनाओं के बाद पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ दर्ज यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के मामलों की समीक्षा करेंगे।
त्रिपुरा गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि डीजीपी ने मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए अपराध शाखा के एडीजीपी पुनीत रस्तोगी को मामलों की समीक्षा करने को कहा है।
पिछले महीने और इस महीने की शुरुआत में त्रिपुरा में मस्जिदों को जलाने की नकली तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित कर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बाधित करने का प्रयास किया गया था।
अधिकारी ने कहा, इसे नियंत्रित करने के लिए और शांति व सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए त्रिपुरा पुलिस ने यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत 102 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। इनमें ज्यादातर राज्य के बाहर के पत्रकार और वकील शामिल हैं।
त्रिपुरा पुलिस ने पहले फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब से उन सौ से अधिक खातों का विवरण देने को कहा था, जिनसे अक्टूबर में बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा के बाद राज्य में कुछ कथित घटनाओं के संबंध में विभिन्न फर्जी और भड़काऊ पोस्ट किए गए थे।
पड़ोसी देश में सांप्रदायिक घटनाओं के बाद अखिल भारतीय इमाम परिषद और विश्व हिंदू परिषद सहित 50 से अधिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा करते हुए त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों में रैलियां आयोजित की थीं।
अल्पसंख्यकों से जुड़ी कुछ घटनाओं के बाद उत्तरी त्रिपुरा जिले के अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर पानीसागर और धर्मनगर उप-मंडलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी थी।
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Source : IANS