तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का दूसरा दिन, जानें पहले दिन क्या हुआ
पांच जजों की बेंच ने गुरुवार को साफ किया कि अगर तीन तलाक इस्लाम के मूल में हुआ तो कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
नई दिल्ली:
तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है। इस मामले पर आज भी सुनवाई होगी जो छह दिनों तक चलेगी। मामले की सुनवाई गुरुवार को शुरू हुई थी, आज दूसरा दिन है।
शुक्रवार को सुनवाई का दूसरा दिन है। इससे पहले गुरुवार को सुनवाई के दौरान क्या क्या हुआ, किन किन बातों पर चर्चा हुई जनते हैं 10 प्वाइंट्स में।
1. सुप्रीम कोर्ट को तीन तलाक और निकाह हलाला के साथ बहुविवाह के मुद्दे पर भी गौर करना था। संवैधानिक बेंच ने बहुविवाह के मुद्दे पर सनवाई करने से यह कह कर इंकार कर दिया कि एक से ज्यादा शादी करने से जुड़े मुद्दे पर गौर नहीं किया जा सकता है क्योंकि ये तीन तलाक से जुड़ा मसला नहीं है।
2. अमित सिंह चड्ढा (शायरा बानो के वकील): दलीलों की शुरुआत करते हुए अमित सिंह ने कहा कि तीन तलाक का रिवाज इस्लाम की बुनियाद से जुड़ा नहीं है। इस कारण इस रिवाज को खत्म किया जा सकता है।
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अमित सिंह ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश में भी तीन तलाक नहीं होता है। कोर्ट के अंदर उन्होंने तीन तलाक को गैर-इस्लामिक बताया।
3. केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने तीन तलाक को लेकर पिंकी आनंद ने कहा कि सरकार याचिकाकर्ता की इस दलील का सपोर्ट करती है कि तीन तलाक असंवैधानिक है। दुनिया के कई देश इसे खत्म कर चुके हैं और इसे भारत में भी खत्म किया जाना चाहिए।
4. मामले पर संवैधानिक बेंच ने कहा कि हम इस मसले पर अलग-अलग इस्लामिक देशों में मौजूद कानून पर गौर करना चाहेंगे।
5. एक पिटीशनर की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अगर न्यायालय से अलग किसी और तरीके से तलाक दिया जा रहा है तो उसके नतीजों से निपटने के लिए उस तलाक पर कोर्ट की नजर तो होनी ही चाहिए।
6. न्याय मित्र के तौर पर तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट की मदद कर रहे वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि तीन तलाक कोई मुद्दा नहीं है। क्योंकि सुलह की कोशिशों के बिना इसे पूरा ही नहीं माना जाता।
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7. खुर्शीद के इस जवाब के बाद बेंच ने उनसे पूछा कि क्या सुलह की कोशिशों के बाद एक बार में तीन तलाक जायज हो जाता है?
8. बेंच के इस सवाल का जवाब सलमान खुर्शीद ने नहीं में उत्तर दिया।
9. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई भी समझदार मुस्लिम किसी भी दिन उठकर सीधे तलाक-तलाक-तलाक नहीं कहता। यह कोई मुद्दा ही नहीं है।
10. बेंच ने कहा कि अगर हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि तीन तलाक मजहब से जुड़ा बुनियादी हक है तो हम उसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल नहीं उठाएंगे। एक बार में तीन तलाक बोलने के मामले में सुनवाई होगी, लेकिन तीन महीने के अंतराल पर बोले गए तलाक पर विचार नहीं किया जाएगा।
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छह दिन तक लगातार चलने वाली सुनवाई में कोर्ट इस मामले पर जिरह करेगा कि क्या तीन तलाक प्रथा इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं? पांच जजों की बेंच ने गुरुवार को साफ किया कि अगर तीन तलाक इस्लाम के मूल में हुआ तो कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट उन इस्लामिक देशों का कानून भी देख सकता है जहां तीन तलाक पर पाबंदी है। पांच धर्मों के जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान यह भी सवाल किया, 'अगर तीन तलाक अवैध घोषित कर दिया तो तलाक के लिए मुस्लिम पुरुष कहां जाएंगे?'
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