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ट्रिपल तलाक पर 28 दिसंबर को लोकसभा में बिल पेश करेगी केंद्र सरकार, AIMPLB कर रहा है विरोध

मुस्लिम संगठनों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार 28 दिसंबर को ट्रिपल तलाक पर लोकसभा में विधेयक पेश करेगी।

Updated on: 26 Dec 2017, 07:43 PM

highlights

  • मुस्लिम संगठनों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार 28 दिसंबर को ट्रिपल तलाक पर लोकसभा में विधेयक पेश करेगी
  • केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद गुरुवार को लोकसभा में मुस्लिम वीमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल को पेश करेंगे

नई दिल्ली:

मुस्लिम संगठनों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार 28 दिसंबर को ट्रिपल तलाक पर लोकसभा में विधेयक पेश करेगी।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद गुरुवार को लोकसभा में मुस्लिम वीमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल को पेश करेंगे।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में अंतरमंत्रालयी समूह की बैठक में इस बिल को तैयार किया गया है, जो तलाक-ए-बिद्दत को अवैध करार देता है। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल इस बिल को मंजूरी दे चुका है।

इस विधेयक को पिछले हफ्ते ही संसद में पेश किया जाना था।

सूत्रों के मुताबिक इस विधेयक में एक ही झटके में तीन तलाक देने के खिलाफ सजा का प्रावधान है। तीन तलाक मुसलमानों में मौखिक रूप से तलाक देने का एक तरीका है। 

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विधेयक में महिलाओं को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे तीन तलाक की स्थिति में भरण पोषण की मांग कर सकती हैं।

गौरतलब है कि विधेयक पेश किए जाने के पहले लखनऊ में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की बैठक में इसे खारिज कर दिया गया था। 

पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को महिला विरोधी बताते हुए तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित मसौदे को आपराधिक कृत्य करार दिया है। बोर्ड ने कहा कि यह महिलाओं की आजादी में दखल है।

बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने कहा कि इस बिल को बनाने में वाजिब प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

बोर्ड ने इस प्रस्तावित बिल को संविधान और शरीयत विरोधी बताते हुए कहा, 'इस बिल को बनाने के दौरान किसी भी संबंधित पक्षकारों से कोई मशविरा नहीं किया गया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रेसिडेंट, प्रधानमंत्री को इस बात की जानकारी देंगे और उनसे इस बिल को रोके जाने के साथ उसे वापस लेने की विनती करेंगे।'

नोमानी ने बताया कि एक बार में तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को पेश होने वाली दिक्कतों के बारे में इस बिल के जरिये केन्द्र सरकार जिस मकसद को हासिल करना चाहती है उन्हें पहले से मौजूद कानूनी प्रावधानों से हासिल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह बिल भारत के संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है। यही नहीं तीन तलाक के बारे में 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फैसले का भी यह बिल उल्लंघन करता है।

बैठक में शामिल होने के लिए बोर्ड की वर्किंग कमेटी के सभी 51 सदस्यों के बुलाया गया था, जिसमें से 19 लोग ही पहुंचे थे। बैठक में एमआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भी पहुंचे थे।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-बिद्दत को गैरकानूनी घोषित किए जाने के बाद सरकार संसद में कानून पेश कर रही है।

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