गुरुवार को लोकसभा में भारी हंगामे के बीच तीन तलाक बिल पास हो गया. ट्रिपल तलाक बिल को लेकर एक तरफ जहां कुछ मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं वहीं कुछ मुस्लिम संगठनों और धर्म गुरु इसे सही बता रहे हैं जबकि कुछ इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में सरकार की दखलंदाजी करार दे रहे हैं. फैसले को लेकर फिरंगी महली ने कहा - जिस तरह से लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास किया गया है यह अफसोसजनक है. यह मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. सरकार मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में दखलंदाजी कर रही है.
मौलाना जहीर अब्बास - ट्रिपल तलाक का मसला बेहद पेचीदा होता जा रहा है. इस मसले को सरकार को मुस्लिम संस्थाओं के साथ बैठकर सुलझाना चाहिए. बगैर अदालत की सख्ती के भी इस मुद्दे को सुलझाया जा सकता है.
मौलाना सैफ - आज जो तीन तलाक बिल पास हुई है इससे सभी को फायदा होगा और सभी को इसका स्वागत करना चाहिए. अभी तक जो ट्रिपल तलाक होते हैं वो कुरान विरूद्ध था लेकिन अब यह कानून के जरिए कुरान के मुताबिक होगा.
इससे पहले बिल के पास होने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की कार्य समिति के सदस्य एस क्यू आर इलियास ने कहा कि इस विधेयक की कोई जरूरत नहीं थी और इसे आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया है.
उन्होंने कहा, 'यह बेहद खतरनाक विधेयक है जो दीवानी मामले को फौजदारी अपराध बना देगा. एक बार पति जेल चला जाएगा तो पत्नियों और बच्चों की देखभाल कौन करेगा.'
इलियास ने कहा कि लैंगिक न्याय के बजाए यह विधेयक समुदाय के पुरुषों और महिलाओं के लिये 'सजा' साबित होगा. उन्होंने सरकार से सवाल पूछा, 'चार करोड़ महिलाओं ने याचिका पर हस्ताक्षर कर कहा कि वे विधेयक नहीं चाहतीं तब ये कौन मुस्लिम महिलाएं हैं जो इसे चाहती हैं.'
अखिल भारतीय उलेमा काउंसिल के महासचिव मौलाना महमूद दरयाबादी ने कहा कि जब सरकार ने तीन तलाक को रद्द कर दिया तब इस पर यहां चर्चा क्यों की जा रही है. उन्होंने कहा, 'सरकार को मुस्लिम महिलाओं और बच्चों के लिये कोष पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिनके पास अपने पति के जेल जाने के बाद आय का कोई स्रोत नहीं रहेगा.'